अंजीर के पेड़ से यह दृष्टांत सीखो: यीशु के दूसरी बार आने के समय के बारे में भविष्यवाणी

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यीशु ने कहा कि अंत के दिनों में, जब न्याय का दिन निकट हैं, वह मानव जाति को उद्धार के सत्य की ओर ले जाने के लिए फिर से शरीर में आएंगे।तब, मसीह दूसरी बार कब आएंगे?बाइबल हमें अंजीर के पेड़ के दृष्टांत के माध्यम से स्पष्ट रूप से उत्तर देती है।

“अंजीर के पेड़ से यह दृष्टांत सीखो”

दो हजार वर्ष पहले, चेलों ने यीशु से उनके दूसरे आगमन के समय के बारे में पूछा(मत 24:3)। इसके बारे में समझाते हुए, यीशु ने उन्हें अंजीर के पेड़ से दृष्टांत सीखने के लिए कहा।

“उस समय… तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। वह तुरही के बड़े शब्द के साथ अपने दूतों को भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारों दिशाओं से उसके चुने हुओं को इकट्ठा करेंगे। वह तुरही के बड़े शब्द के साथ अपने दूतों को भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारों दिशाओं से उसके चुने हुओं को इकट्ठा करेंगे।” “अंजीर के पेड़ से यह दृष्टान्त सीखो : जब उसकी डाली कोमल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो कि ग्रीष्म काल निकट है। इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो कि वह निकट है, वरन् द्वार ही पर है।” मत 24:30-33

यीशु के यह कहने के बाद, “अंजीर के पेड़ से यह दृष्टांत सीखो,” उन्होंने कहा, “जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो कि वह[मनुष्य का पुत्र] निकट है, वरन द्वार ही पर है।” इसका मतलब है कि हम अंजीर के पेड़ के दृष्टांत के द्वारा जान सकते हैं कि यीशु दोबारा कब आएंगे।

बाइबल में अंजीर का पेड़ किसे दर्शाता है?

बाइबल में, अंजीर का पेड़ इस्राएल को दर्शाता है(यिर्म 24:5)। यीशु ने भी इस्राएल की तुलना अंजीर के पेड़ से की थी।

दूसरे दिन जब वे बैतनिय्याह से निकले तो उसको भूख लगी। वह दूर से अंजीर का एक हरा पेड़ देखकर निकट गया कि क्या जाने उसमें कुछ पाए : पर पत्तों को छोड़ कुछ न पाया; क्योंकि फल का समय न था। इस पर उसने उससे कहा, “अब से कोई तेरा फल कभी न खाए!” और उसके चेले सुन रहे थे। फिर भोर को जब वे उधर से जाते थे तो उन्होंने उस अंजीर के पेड़ को जड़ तक सूखा हुआ देखा। पतरस को वह बात स्मरण आई, और उसने उससे कहा, “हे रब्बी, देख! यह अंजीर का पेड़ जिसे तू ने स्राप दिया था, सूख गया है।” मर 11:12-14, 20-21

जब यीशु और उनके चेले बैतनिय्याह से निकल रहे थे, तो वे एक अंजीर का पेड़ देखकर अपनी भूख मिटाने के लिए उस पर फल ढूंढ़ने गए। भले ही उन्होंने पेड़ पर फल की खोज की, लेकिन उन्हें कोई फल नहीं मिला; क्योंकि फल का समय न था। फिर भी, यीशु ने अंजीर के पेड़ को शाप दिया और उसे सूख जाने दिया। अंजीर का पेड़ इस्राएल में सबसे सामान्य पेड़ों में से एक है। इसके अलावा, यीशु, जो परमेश्वर हैं, निश्चित रूप से अंजीर के फल का मौसम जानते थे।

तब यीशु ने अंजीर के पेड़ को क्यों श्राप दिया? उन्हेंने सिर्फ पेड़ को ही श्राप नहीं दिया, बल्कि उस घटना के द्वारा अपनी इच्छा को प्रकट करना चाहा। निष्फल अंजीर का पेड़ इस्राएल को दर्शाता है जिसने यीशु को अस्वीकार किया। यीशु ने हमें यह सिखाने के लिए अंजीर के पेड़ को श्राप दिया कि इस्राएली जिन्होंने यीशु और उनके सुसमाचार को अस्वीकार किया, भविष्य में नष्ट हो जाएंगे।

अंजीर के पेड़ का दृष्टांत और इस्राएल का विनाश

यीशु ने एक और अंजीर के पेड़ का दृष्टान्त के द्वारा इस्राएल के विनाश के बारे में भविष्यवाणी की।

फिर उसने यह दृष्टान्त भी कहा : “किसी की अंगूर की बारी में एक अंजीर का पेड़ लगा हुआ था। वह उसमें फल ढूंढ़ने आया, परन्तु न पाया। तब उस ने बारी के रखवाले से कहा, ‘देख, तीन वर्ष से मैं इस अंजीर के पेड़ में फल ढूंढ़ने आता हूं, परन्तु नहीं पाता। इसे काट डाल कि यह भूमि को भी क्यों रोके रहे?’ उसने उसको उत्तर दिया, ‘हे स्वामी, इसे इस वर्ष और रहने दे कि मैं इसके चारों ओर खोदकर खाद डालूं। यदि आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना’।” लूक 13:6-9

दृष्टांत में, जिस व्यक्ति ने तीन साल तक अंजीर के पेड़ पर फल ढूंढ़े, वह यीशु को दर्शाता है।उन्होंने तीस वर्ष की आयु में बपतिस्मा लिया और क्रूस पर मरने तक तीन वर्षों से इस्राएल में सुसमाचार का प्रचार किया।उन्होंने इस तथ्य की तुलना तीन साल तक अंजीर के पेड़ पर फल ढूंढ़ने से की।

दृष्टांत में, उस व्यक्ति को अंजीर के पेड़ पर कोई फल नहीं मिला और कहा, “इसे काट डाल।” इस दृष्टान्त की वास्तविकता यीशु में पाई जाती है जब उन्होंने इस्राएल के लोगों को चेतावनी दी कि परमेश्वर के द्वारा उनका न्याय और विनाश किया जाएगा क्योंकि उन्होंने उन्हें और उनके सुसमाचार को अस्वीकार किया। जब उस व्यक्ति ने कहा, “इसे इस वर्ष और रहने दे कि मैं इसके चारों ओर खोदकर खाद डालूं।” इसका मतलब था कि यीशु अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने के तुरंत बाद इस्राएल को नष्ट नहीं करेंगे, लेकिन उन्हें पश्चाताप करने का अवसर देंगे।

क्रूस पर चढ़ाए जाने के बाद, यीशु ने इस्राएल को पश्चाताप करने और सुसमाचार की ओर फिरने के लिए चालीस वर्ष का अवसर दिया(यहेज 4:6)।लेकिन, लोगों ने सुसमाचार को स्वीकार नहीं किया, और परमेश्वर ने 70 ई. में इस्राएल को नष्ट कर दिया।इस प्रकार, भविष्यवाणी, “यदि आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना,” पूरी हुई।

इस्राएल के विनाश के बारे में यीशु की सीधे भविष्यवाणी

जब यीशु अपने शिष्यों से बात कर रहे थे तो उन्होंने इस्राएल के विनाश के बारे में सीधे भविष्यवाणी की।

“जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है। तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों पर भाग जाएं; और जो यरूशलेम के भीतर हों वे बाहर निकल जाएं; और जो गांवों में हों वे उस में न जाएं। क्योंकि यह बदला लेने के ऐसे दिन होंगे, जिन में लिखी हुई सब बातें पूरी हो जाएंगी। उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उनके लिये हाय, हाय! क्योंकि देश में बड़ा क्लेश और इन लोगों पर बड़ा प्रकोप होगा। वे तलवार के कौर हो जाएंगे, और सब देशों के लोगों में बन्दी होकर पहुंचाए जाएंगे…” लूक 21:20-24

जैसे यीशु ने भविष्यवाणी की थी, यरूशलेम 70 ई. में टाईटस की अगुवाई में रोम के द्वारा नष्ट हो गया।मंदिर पूरी तरह से इस हद तक नष्ट किया गया कि एक भी पत्थर दूसरे के ऊपर खड़े होने के लिए नहीं बचा था(मर 13:2) योसेफस नामक यहूदी इतिहासकार ने यरूशलेम के विनाश की भयावहता के बारे में विस्तार से लिखा।उसने लिखा कि 11 लाख लोग मारे गए और 97,000 लोगों को बंदी बना लिया गया।यह भविष्यवाणी पूरी हुई जैसे यीशु ने कहा, “वे तलवार के कौर हो जाएंगे, और सब देशों के लोगों में बन्धुए होकर पहुंचाए जाएंगे।”

इस्राएल की पुनर्स्थापना और यीशु मसीह का दूसरा आगमन

यीशु ने कहा कि इस्राएल हमेशा के लिए उजाड़ नहीं रहेगा, लेकिन नियत समय पर पुनर्स्थापित किया जाएगा।

“जब तक अन्य जातियों का समय पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्य जातियों से रौंदा जाएगा।” लूक 21:24

बाइबल कहती है कि एक निश्चित अवधि निर्धारित की गई है कि यरूशलेम अन्यजातियों द्वारा रौंदा जाएगा।इसका मतलब यह है कि वह अवधि समाप्त होने के बाद यरूशलेम यहूदियों के लिए पुन:स्थापित हो जाएगा।70 ई. के बाद, यरूशलेम में अन्यजाती रहते थे, और इस्राएली लगभग 1,900 वर्षों तक बिना किसी राज्य के भटकते रहे।1948 में, द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद, इस्राएली चमत्कारिक रूप से अपने पूर्वजों की भूमि पर लौट आए और स्वतंत्रता की घोषणा की।यीशु ने मत्ती की पुस्तक में अंजीर के पेड़ के दृष्टांत के माध्यम से इस्राएल की स्वतंत्रता के बारे में भविष्यवाणी की।

“अंजीर के पेड़ से यह दृष्टान्त सीखो : जब उसकी डाली कोमल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो कि ग्रीष्म काल निकट है। इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो कि वह निकट है, वरन् द्वार ही पर है। मत 24:32-33

सर्दियों में, पेड़ों की पत्तियां झड़ जाती हैं और डालियां सूख जाती हैं और पेड़ मरे हुए लगते हैं। लेकिन, वसंत और ग्रीष्म ऋतु में, उनकी डालियां कोमल हो जाती हैं और पत्तियां निकल आती हैं। यह एक भविष्यवाणी है कि अंजीर के पेड़ द्वारा दर्शाए गए इस्राएल, अन्यजातियों का समय पूरा होने पर पुनर्स्थापित किया जाएगा।

यीशु ने कहा, “अंजीर के पेड़ से यह दृष्टांत सीखो”, और कहा, “जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो कि वह निकट है, वरन् द्वार ही पर है।”इस्राएल की पुनर्स्थापना एक चिन्ह था कि यीशु इस पृथ्वी पर दुबारा आएंगे।इस्राएल एकमात्र ऐसा देश है जिसने 1,900 सालों में अपना खोया हुआ देश वापस पाया है।इतिहासकारों का कहना है कि इस्राएल की स्वतंत्रता एक चमत्कार है जो मानव इतिहास में फिर कभी नहीं होगा।जो लोग इस भविष्यवाणी से अनजान हैं वे सोच सकते हैं कि इस्राएल की स्वतंत्रता संभव थी क्योंकि इस्राएली लोग विशेष थे। लेकिन वास्तव में, परमेश्वर ने अपने दूसरे आगमन के चिन्ह के रूप में इस्राएल की स्वतंत्रता का उपयोग किया।

परमेश्वर ने हमें यह बताने के लिए इस चमत्कारी कार्य को पूरा किया कि यीशु 1948 में दुबारा आएंगे जब अंजीर का पेड़ फिर से जीवित हो जाएगा। यीशु के दुबारा आने का उद्देश्य लोगों के हृदयों को खटखटाना और राज्य के सुसमाचार का प्रचार करना है(प्रक 3:20)। इसलिए, यीशु ने दूसरी बार आकर 1948 में सुसमाचार का प्रचार करना शुरू किया, जब इस्राएल स्वतंत्र हो गया।

बाइबल की इस भविष्यवाणी के अनुसार, यीशु दूसरी बार पृथ्वी पर आए। वह मसीह आन सांग होंग हैं।1948 में मसीह आन सांग होंग ने बपतिस्मा लिया जब इस्राएल स्वतंत्र हुआ, और सुसमाचार का प्रचार करना शुरू किया और उन्होंने नई वाचा के फसह का प्रचार किया जिसका किसी ने लंबे समय तक पालन नहीं किया था।इसलिए मसीह आन सांग होंग दूसरी बार आने वाले यीशु हैं जिनके बारे में बाइबल गवाही देती है।

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