आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। उत 1:1
बाइबल की पहली पुस्तक, उत्पत्ति की पुस्तक की शुरुआत में परमेश्वर(एलोहीम1) की सृष्टि दर्ज है। परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को छ: दिन में बनाया और सातवें दिन विश्राम किया। बाइबल का इतिहास आकाश और पृथ्वी की सृष्टि के साथ शुरू होता है, और नए आकाश और नई पृथ्वी अर्थात् स्वर्ग के राज्य के आगमन के साथ समाप्त होता है जहाँ न मृत्यु है और न ही दर्द है(प्रक 21:1-4)।
- इब्रानी में “परमेश्वर(एल, एलोहा)” का बहुवचन रूप। उत्पत्ति की पुस्तक के पहले पृष्ठ से शुरू करते हुए, पुराने नियम में परमेश्वर को एलोहीम के रूप में लगभग 2,500 बार दर्ज किया गया है।
परमेश्वर अपने लोगों को स्वर्ग के राज्य में ले जा रहे हैं। छः दिन की सृष्टि उनके उद्धार के कार्य के बारे में एक भविष्यवाणी है। आइए हम सृष्टि की प्रक्रिया और उसके भविष्यसूचक अर्थ पर एक नज़र डालें।
सृष्टि का पहला दिन: ज्योति, अंधेरा
पहले दिन, परमेश्वर ने ज्योति की सृष्टि की और ज्योति को अन्धकार से अलग किया, और ज्योति को “दिन” और अन्धकार को “रात” कहा (उत 1:3-5)। शाब्दिक रूप से, इस ज्योति की व्याख्या शारीरिक ज्योति के रूप में की जा सकती है, लेकिन भविष्यसूचक रूप से यह जीवन की ज्योति को दर्शाती है, अर्थात् परमेश्वर को जानने की ज्योति जो जीवन है।
आदि में वचन था… और वचन परमेश्वर था… सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ… उसमें जीवन था और वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था। ज्योति अन्धकार में चमकती है, और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। यूह 1:1-5
इसलिये कि परमेश्वर ही है, जिसने कहा, “अन्धकार में से ज्योति चमके,” और वही हमारे हृदयों में चमका कि परमेश्वर की महिमा की पहिचान की ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो। 2कुर 4:6
पहले दिन की भविष्यवाणी की अवधि आदम से नूह तक है। परमेश्वर ने मानवजाति के पिता आदम के समय से ही परमेश्वर की महिमा के ज्ञान की ज्योति चमकाई थी। हालांकि, लोगों ने ज्योति को नहीं समझा और नूह के दिनों में संसार पाप से भर गया था। और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और जल से उनका न्याय किया(उत 6:5-7)।
सृष्टि का दूसरा दिन: एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया
दूसरे दिन, परमेश्वर ने जल के बीच एक ऐसा अन्तर किया कि जल दो भाग हो जाए और एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग-अलग किया, और उस अन्तर को “आकाश” कहा(उत 1:6-8)। अन्तर आकाश और वायुमंडल को दर्शाता है। जल नीचे के जल और उसके ऊपर(बादल) के जल में अलग हो गया।
फिर उस ने मुझ से कहा, “जो पानी… वे तो लोग और भीड़ और जातियाँ और भाषाएँ हैं। प्रक 17:15
बाइबल में, जल मानवजाति को दर्शाता है। आकाश के ऊपर का जल परमेश्वर के लोगों को दर्शाता है जो बचाए जाएंगे, जबकि नीचे का जल उन लोगों को दर्शाता है जो बचाए नहीं जाएंगे।
दूसरे दिन की भविष्यवाणी की अवधि नूह से अब्राहम तक है। जलप्रलय के बाद, नूह के वंशजों ने अपने नाम को ऊंचा करने और पूरी पृथ्वी पर फैलने से बचने के लिए परमेश्वर की इच्छा के विरुद्ध में बेबीलोन नामक एक गुम्मट बनाया। परमेश्वर ने उनकी योजना को तोड़ा और उनकी भाषा में गड़बड़ी डाली ताकि लोग सारी पृथ्वी पर फैल जाएं(उत 11:1-9)।
सृष्टि का तीसरा दिन: समुद्र, भूमि, पौधे
तीसरे दिन, परमेश्वर ने आकाश के नीचे के जल को एक स्थान में इकट्ठा किया कि सूखी भूमि दिखाई दे। इसके बाद, उन्होंने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उन्होंने समुद्र कहा(उत 1:9-10)। और उन्होंने पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे छोटे पेड़ और फलदाई वृक्ष उगने दिए(उत 1:11-13)।
तीसरे दिन बनाया गया समुद्र का जल लोगों को दर्शाता है(प्रक 17:15)। पौधे और पेड़ भी मानवजाति को दर्शाते हैं(यश 40:7; लूक 23:31)। समुद्र बनाने के लिए एक स्थान पर जल इकट्ठा होने का मतलब है कि लोग विभिन्न स्थानों पर जातियों और राष्ट्रों को बनाने के लिए इकट्ठा होते हैं।
तीसरे दिन की भविष्यवाणी की अवधि अब्राहम से मूसा तक है। तीसरे दिन की भविष्यवाणी विश्वास का पूर्वज अब्राहम के जीवन के दौरान कई राष्ट्रों के गठन से पूरी हुई।
सृष्टि का चौथा दिन: सूर्य, चंद्रमा, तारे
चौथे दिन, परमेश्वर ने दिन और रात पर अधिकार रखने के लिए दो बड़ी ज्योतियां, सूर्य और चाँद को बनाया और तारे उदय होकर पृथ्वी को प्रकाश देते थे। उन्होंने नियत समयों, दिनों और वर्षों को भी चिन्हित किया(उत 1:14-19)।
चौथे दिन की भविष्यवाणी की अवधि मूसा से यीशु तक है, और इस अवधि के दौरान, पुराने नियम और नए नियम को संहिताबद्ध किया गया था। चौथे दिन बनाई गई “दो बड़ी ज्योतियों” में से, सूर्य नए नियम और चंद्रमा पुराने नियम को दर्शाता है। चंद्रमा अपना प्रकाश स्वयं उत्सर्जित नहीं करता, बल्कि केवल सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करता है। इसी तरह, पुराने नियम की व्यवस्था ने नई वाचा[नए नियम] के सत्य के प्रकाश को परावर्तित किया, जो कि नए नियम के समय में पूरा होगा। आखिरकार, इसने परमेश्वर के लोगों को मसीह तक ले जाने में एक भूमिका निभाई जो नए नियम के समय में प्रकट होंगे(गल 3:24)।
एक स्त्री जो सूर्य ओढ़े हुए थी, और चाँद उसके पाँवों तले था… प्रक 12:1
और तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्होंने मसीह को पहिन लिया है। गल 3:27
“चंद्रमा सूर्य ओढ़े एक स्त्री के पांवो के तले है,” इसका मतलब है कि पुराना नियम खत्म हो गया और नया नियम शुरू हुआ। चंद्रमा की रोशनी के नीचे पुराने नियम का समय नए नियम के सूर्य के प्रकाश अर्थात् मसीह का प्रकाश चमकने की प्रतीक्षा करने का समय था।
सृष्टि के चौथे दिन नियत समय, दिन और वर्ष निर्धारित किए गए थे। यह एक भविष्यवाणी थी कि परमेश्वर की व्यवस्था और विधियां, पर्व और सब्त स्थापित किए जाएंगे।
सृष्टि का पांचवां दिन: मछली, पक्षी
पांचवें दिन, परमेश्वर ने जल जीवित प्राणियों और आकाश के पक्षियों को बनाया और उन्हें फूलने-फलने दिया(उत 1:20-23)। समुद्र जो मानवजाति को दर्शाता है का अस्थायी शासक शैतान है(प्रक 12:9)। यीशु के दृष्टांत के अनुसार, आकाश के पक्षी भी शैतान को दर्शाते हैं। शैतान परमेश्वर के वचन, सुसमाचार को नष्ट कर देता है(मत 13:3-4; लूक 8:11-12; 1पत 1:23)।
पांचवें दिन की भविष्यवाणी की अवधि यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने के बाद उत्पीड़न की अवधि और 1,260 वर्षों के अंधकार युग तक है, जो 1798 ई. में फ्रांसीसी क्रांतिकारी सरकार की सेनाओं द्वारा पोप पिउस VI को गिरफ़्तार किया जाने तक चला था। इस युग के दौरान, शैतान ने शक्ति प्राप्त की और परमेश्वर के जीवन का सत्य गायब हो गया; और मूर्तिपूजक के रीति-रिवाज और बुतपरस्त प्रतीक ईसाई धर्म में घुस बैठे।
और वह परमप्रधान के विरुद्ध बातें कहेगा, और परमप्रधान के पवित्र लोगों को पीस डालेगा, और समयों और व्यवस्था के बदल देने की आशा करेगा, वरन् साढ़े तीन काल तक वे सब उसके वश में कर दिए जाएंगे। दान 7:25
भविष्यवाणी के अनुसार कि शैतान द्वारा परमेश्वर के निर्धारित समय और व्यवस्था गायब हो जाएगी, सत्य प्रेरितों के युग के बाद एक-एक करके बदलने लगे। 321 ई. में सब्त के दिन को रविवार की आराधना में बदल दिया गया और 325 ई. में फसह को मिटा दिया गया। बाद में, सूर्य-देवता का जन्मदिन क्रिसमस और क्रूस मूर्तिपूजा को चर्च में पेश किया गया। अंधकार युग के दौरान, संत जंगल में भाग गए और रेगिस्तान, पहाड़ों और गुफाओं में एक दुखी समय बिताया(प्रक 12:6, 14)।
सृष्टि का छठा दिन: पशु, मनुष्य
छठवें दिन परमेश्वर ने घरेलू पशुओं और सब जन्तुओं को बनाया, और अन्त में आदम व हव्वा को बनाया(उत 1:24-31)। आखिर में, परमेश्वर ने नर और नारी को यह कहते हुए बनाया, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं।” परमेश्वर ने नर को पिता परमेश्वर के स्वरूप में और नारी को माता परमेश्वर के स्वरूप में बनाया।
आदम “आने वाले[यीशु] को दर्शाता है”(रो 5:14), और आदम की पत्नी हव्वा को “सब की आदिमाता” कहा गया(उत 3:20)। आदम और हव्वा, जो छह दिनों की सृष्टि के अंतिम दिन प्रकट हुए, पिता परमेश्वर[दूसरी बार आने वाले यीशु मसीह] और माता परमेश्वर को दर्शाते हैं, जो उद्धार के कार्य के अंतिम दिनों में प्रकट होंगे। 1कुरिन्थियों में यह लिखा गया है कि “अंतिम आदम” एक “जीवनदायक आत्मा” है, अर्थात् उद्धारकर्ता जो मानवजाति को अनन्त जीवन देते हैं(1कुर 15:44-49)। प्रेरित यूहन्ना ने लिखा कि अंतिम आदम और हव्वा, जिन्हें उसने अपने प्रकाशन में देखा, वे “पवित्र आत्मा और दुल्हिन” थे।
आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। प्रक 22:17
पवित्र आत्मा और दुल्हिन, जो उन लोगों को जीवन के जल को सेंतमेंत देते हैं जो इसे पाना चाहते हैं, पिता परमेश्वर[दूसरी बार आने वाले यीशु] और माता परमेश्वर को दर्शाते हैं, जो सभी लोगों को अनन्त जीवन देंगे।
बाइबल में पशु अन्यजातियों का दर्शाते हैं (प्रे 10:1-16, 24-29)। यह तथ्य कि आदम और हव्वा ने सभी पशुओं पर शासन किया, एक भविष्यवाणी है कि अंतिम आदम और हव्वा अर्थात आत्मा और दुल्हिन शरीर में प्रकट होते हैं और सभी लोगों को उद्धार की ओर ले जाते हैं।
सृष्टि का सातवां दिन: विश्राम
सातवें दिन जब परमेश्वर ने सृष्टि का कार्य समाप्त किया, उन्होंने किया और आशीष दी और उसे पवित्र ठहराया(उत 2:1-3)। सातवां दिन सब्त सृष्टिकर्ता परमेश्वर की शक्ति का स्मरण करने का दिन था, और इसे एक व्यवस्था के रूप में स्थापित किया गया था जिसका पालन किया जाना चाहिए(निर्ग 20:8-11; लूक 4:16)।
सातवें दिन के संबंध में, ऐसा कोई वचन नहीं है जो कहता हो, “तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार सातवा दिन हो गया।।” ऐसा इसलिए, क्योंकि यह अनन्त विश्राम को दर्शाता है(इब्र 4:1-11)। परमेश्वर ने इस्राएलियों को पृथ्वी पर कनान देश विश्राम के रूप में दिया था(यहो 21:44)। आत्मिक इस्राएली अनन्त विश्राम के रूप में स्वर्गीय कनान में प्रवेश करेंगे।
इस प्रकार, परमेश्वर ने अपनी सृष्टि के कार्य में अपने उद्धार की बड़ी इच्छा को समाया है, और बिना असफलता के इसे पूरा कर रहे हैं। भजन संहिता के लेखक ने प्रेम से सब कुछ बनाने के लिए परमेश्वर की प्रशंसा की, और गीत गाया कि उसकी महिमा और वचन संसार के छोर तक पहुंचेगा(भज 33:6-7; 19:1-4)। भजन की तरह, सृष्टिकर्ता एलोहीम परमेश्वर की महिमा के ज्ञान का प्रकाश इस युग में पूरे विश्व में चमक रहा है। अब समय आ गया है कि सब लोग पवित्र अन्तिम आदम और हव्वा अर्थात आत्मा और दुल्हिन को ग्रहण करें, जो उन्हें जीवन का जल देते हैं।