जब यीशु 2,000 वर्ष पहले इस पृथ्वी पर आए, कुछ ने कहा कि यीशु यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला हैं, कुछ ने कहा कि वह एलिय्याह हैं, और कुछ ने कहा कि वह एक नबी हैं। वास्तव में, यीशु स्वभाव में पिता परमेश्वर थे। यीशु ने कहा, “बाइबल मेरी गवाही देती है”, और उन्होंने सिखाया कि केवल बाइबल की भविष्यवाणियों के माध्यम से ही, लोग पहचानेंगे और समझेंगे कि वह कौन हैं(यूह 5:39)।
आज, बहुत से चर्च यीशु का नाम पुकारते हैं, लेकिन वे ठीक से नहीं समझते कि यीशु कौन हैं। वे परमेश्वर और यीशु को अलग-अलग जन के रूप में मानते हैं और यीशु को मनुष्य या स्वर्गदूतों में से एक मानते हैं। इसके विपरीत, बाइबल गवाही देती है कि यीशु शरीर में आए सृष्टिकर्ता यहोवा और पिता परमेश्वर हैं। आइए इस तथ्य के बारे में पुराने नियम में लिखी भविष्यवाणियों के माध्यम से पुष्टि करें।
पिता परमेश्वर पुत्र के रूप में आए
नबी यशायाह ने स्पष्ट रूप से गवाही दी कि यीशु, जो एक बालक के रूप में जन्मे, पिता परमेश्वर हैं।
क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके काँधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। यश 9:6
परमेश्वर जो पुराने नियम के समय में पिता कहलाते थे, वह यहोवा हैं(यश 63:16; 64:8)। इसलिए, उपरोक्त शब्द का अर्थ है कि पुत्र यीशु ही पिता परमेश्वर यहोवा हैं, जो यशायाह की पुस्तक में लिखी भविष्यवाणी के अनुसार एक बालक और एक पुत्र के रूप में जन्मे।
यशायाह नबी ने यह भी भविष्यवाणी की कि परमेश्वर यहोवा इस पृथ्वी पर दीन होकर शरीर में आएंगे, और वह मनुष्यों के लिए ठोकर का पत्थर और ठेस की चट्टान होंगे(यश 8:13-15)। प्रेरित पौलुस ने गवाही दी कि यीशु ने इस भविष्यवाणी को पूरा किया(1पत 2:4-8)। प्रेरित पौलुस, जिसने पूर्ण रूप से यीशु के ईश्वरीय स्वभाव को पहचाना, यह भी पुष्टि की कि यीशु शरीर में आए पिता परमेश्वर हैं(फिलि 2:5-6; रो 9:5)।
कुछ लोग इस पर संदेह कर सकते हैं कि यीशु स्वभाव में कौन हैं, क्योंकि उपवास करते समय जब वे शैतान से परखे गए तब उन्होंने परमेश्वर से प्रार्थना की। इसके बाद, कुछ पूछते हैं, “यदि वह परमेश्वर हैं तब उन्हें परीक्षाओं और कष्टों से क्यों गुजरना पड़ा?” यीशु को यह सब सहना था क्योंकि वह पुत्र के रूप में आए थे। वह शरीर में आए और नमूना दिखा दिया कि विभिन्न परिस्थितियों में परमेश्वर की संतानों को क्या करना चाहिए(यूह 13:15)। इसी प्रकार, भले ही उनमें कोई पाप नहीं है, उन्होंने पोपों की क्षमा की विधि, बपतिस्मा लिया और फसह का पालन किया।
यीशु ने इम्मानुएल की भविष्यवाणी को पूरा किया
पुराने नियम में यह भविष्यवाणी की गई है कि एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी(यश 7:14)। इम्मानुएल का अर्थ है परमेश्वर हमारे साथ हैं। इस संदर्भ में, “परमेश्वर” पिता यहोवा को दर्शाता है(यश 44:6; 45:21)। निश्चित रूप से बोला जाएं तो, इम्मानुएल का मतलब है कि परमेश्वर यहोवा शरीर में अपने लोगों के साथ हैं। इस भविष्यवाणी को यीशु ने पूरा किया।
यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उसकी माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उनके इकट्ठा होने से पहले ही वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। … उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा… “देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा,” जिसका अर्थ है – परमेश्वर हमारे साथ। मत 1:18-23
इम्मानुएल के बारे मे भविष्यवाणी तब पूरी हुई जब यीशु, जो पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ में आए, और उन्होंने कुँवारी मरियम के द्वारा एक बालक के रूप में जन्म लिया। इसका अर्थ है कि यीशु ही परमेश्वर यहोवा हैं। मत्ती, जिसने इस तथ्य पर दृढ़ता से विश्वास किया, इम्मानुएल नाम के अर्थ का अनुवाद करने हुए गवाही दी कि यीशु स्वभाव में पिता परमेश्वर हैं।