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यीशु ने नई वाचा की घोषणा की

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दो हजार वर्ष पहले, यहोवा परमेश्वर मानवजाति को बचाने के लिए एक पुत्र के रूप में शरीर धारण करके आए। वह यीशु मसीह हैं। यीशु ने खुद को बलिदान करके कई लोगों को बचाया। इसकी तुलना गेहूँ के दाने से की जा सकती है। जब यह मर जाता है, तो यह अंकुरित होता है, खिलता है, और जो बोया गया था उससे एक सौ या एक हजार गुना अधिक बीज पैदा करता है। यीशु ने अपने बहुमूल्य मांस और लहू से नई वाचा की स्थापना की और उद्धार का मार्ग खोला।

पुराने नियम के समय से, परमेश्वर ने भविष्यवक्ताओं के माध्यम से नई वाचा के अनमोल सत्य के बारे में भविष्यवाणी की थी। यीशु ने अपने लोगों को मुक्त करने के लिए जो मृत्यु के दास थे, नई वाचा का मूल, फसह का उपयोग किया।

पापों की क्षमा के लिए स्थापित वाचा

अदन की वाटिका में, आदम और हव्वा पर मृत्यु आई क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन किया और भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष से खाया। बाइबल समझाती है कि यह सारी मानव जाति की कहानी है: क्योंकि आदम और हव्वा के समान ही मनुष्यों ने पाप किये और उन्हें मृत्यु की सजा दी गई(रो 3:9-10; 6:23)। मानवजाति दयनीय प्राणी बन गई है जो स्वयं पाप और मृत्यु से नहीं बच सकती(रो 7:24)। परमेश्वर ने उनके प्रति करुणा दिखाई और उन्हें पापों की क्षमा देने के लिए एक व्यवस्था यानी एक वाचा स्थापित की।

पुराने नियम के समय में, यहोवा परमेश्वर ने इस्राएलियों को चुना और उन्हें सीनै पर्वत पर दस आज्ञाएँ दीं। इसके द्वारा, उन्होंने पुरानी वाचा की व्यवस्था को स्थापित किया(निर्ग 34:28; यहेज 20:10-12)। पुराने नियम के व्यवस्था के अनुसार, यदि इस्राएलियों में से कोई पाप करता, तो उसे पवित्रस्थान में पशुओं की बलि देने की आवश्यकता थी। होमबलि की वेदी पर लहू बहाने के द्वारा, वह अपने पापों की क्षमा प्राप्त कर सकता था(लैव 4:1-35)।

परमेश्वर ने कहा कि वह नई वाचा की स्थापना करेंगे

इस्राएलियों ने लगातार परमेश्वर के नियमों की अवहेलना की, और परिणामस्वरूप, वे श्रापित और नष्ट किए गए। इस बारे में, प्रेरित पौलुस ने कहा, “आज्ञा वास्तव में मृत्यु लाई”(रो 7:7-11)।

जब लोगों को अपनी अवज्ञा के कारण मरना पड़ा, तो यहोवा परमेश्वर ने वादा किया कि वह एक नई वाचा स्थापित करेंगे, जिसके माध्यम से लोग जीवन प्राप्त कर सकते हैं और यदि वे नई वाचा का पालन करते हैं तो परमेश्वर उन्हें अपने लोगों के रूप में स्वीकार करेंगे।

“फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बाँधूँगा। वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बाँधी थी जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली… परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बाँधूँगा, वह यह है : मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊँगा,और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा। और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा।” यिर्म 31:31-33

यीशु मसीह ने नई वाचा की स्थापना की

जैसा कि यिर्मयाह के द्वारा भविष्यवाणी की गई थी, यहोवा परमेश्वर यीशु के नाम से पृथ्वी पर आए और फसह के द्वारा नई वाचा की स्थापना की।

“मुझे बड़ी लालसा थी कि दु:ख भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊं।”… इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है। लूका 22:15-20

यीशु ने अपने लहू से नई वाचा की स्थापना की। पुराने नियम के समय में, लोगों ने पापबलि के रूप में पशुओं का लहू बहाकर पापों की क्षमा प्राप्त की; लेकिन, नए नियम के समय में, लोग यीशु मसीह के लहू के द्वारा पापों की क्षमा प्राप्त कर सकते हैं जो कि फसह के मेमने की वास्तविकता हैं(1कुर 5:7)। यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा कि नई वाचा के फसह का दाखमधु वाचा का लहू है, जो हमें पापों की क्षमा देता है।

अत: चेलों ने यीशु की आज्ञा मानी और फसह तैयार किया… फिर उन्होंने कटोरा लेकर धन्यवाद दिया… “क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।” मत 26:17-28

पुरानी वाचा की व्यवस्था जानवरों के लहू से स्थापित की गई थी। लोगों के लिए सभी नियमों का पालन करना और इसके द्वारा पापों की सम्पूर्ण क्षमा प्राप्त करना असंभव था। लेकिन, हमारे पास नई वाचा है जिसे यीशु के पवित्र लहू द्वारा स्थापित किया गया। इस व्यवस्था के द्वारा, कोई भी पूरी तरह से पापों की क्षमा प्राप्त कर सकता है(इफ 1:7)।

यीशु पूरी तरह से नई वाचा के द्वारा पापों को क्षमा करते हैं

प्रेरित पौलुस ने पुरानी वाचा और नई वाचा के बारे में इस प्रकार लिखा:

क्योंकि यदि वह पहली वाचा निर्दोष होती, तो दूसरी के लिये अवसर न ढूँढ़ा जाता। पर वह उन पर दोष लगाकर कहता है, “प्रभु कहता है, देखो, वे दिन आते हैं कि मैं इस्राएल के घराने के साथ, और यहूदा के घराने के साथ नई वाचा बाँधूँगा।” इब्र 8:7-8

पहली वाचा के द्वारा इस्राएली पापों की सम्पूर्ण क्षमा और उद्धार को प्राप्त नहीं कर सके; इसलिए, यीशु ने दूसरी वाचा यानी नई वाचा की स्थापना की जो निर्दोष और सिद्ध सत्य है और पापों की क्षमा देती है। यीशु, जो मानव जाति को बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आए थे, ने अपने शिष्यों से फसह की तैयारी करने के लिए कहा और अपने जीवन के अंतिम क्षणों में नई वाचा का फसह मनाया। उन्होंने कहा “मुझे बड़ी लालसा थी कि दु:ख भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊँ” और मानव जाति को अनंत जीवन देने का वादा किया जो मरने के लिए नियुक्त की गई थी।

लोग मृत्यु से नहीं बच सकते, चाहे वे इस संसार में कितनी भी मेहनत क्यों न कर लें। यीशु ने जीवन की आत्मा की व्यवस्था, नई वाचा के फसह के द्वारा मानवजाति को पाप और मृत्यु की व्यवस्था से बचाया(रो 8:1-2)। इस्राएली, जो लंबे समय से मिस्र में दासत्व में थे, फसह मनाने के द्वारा स्वतंत्र किये गए थे(निर्ग 12:1-14)। समान रूप से, इस समय में परमेश्वर के लोग नई वाचा के फसह का पालन करने के द्वारा पाप और मृत्यु से मुक्त होते हैं और स्वर्ग के राज्य की ओर उद्धार के मार्ग में प्रवेश करते हैं।

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