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परमेश्वर ने न केवल स्वर्ग में उद्धार का कार्य किया। लेकिन वह इस पृथ्वी पर शरीर पहन कर आए और स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया। बाइबल परमेश्वर का वर्णन मसीह के रूप में करती है जो मानव जाति के उद्धार के लिए शरीर में आए थे।
मसीह की उत्पत्ति यूनानी शब्द क्रिस्टोस(Χριστός) से हुई है, जिसका अर्थ है अभिषिक्त। पुराने नियम के समय में, परमेश्वर ने राजाओं, याजकों और भविष्यद्वक्ताओं का अभिषेक करके उन्हें नियुक्त किया था (निर्ग 40:13; 1रा 19:15-16)। परमेश्वर ने प्रत्येक ऐतिहासिक व्यक्ति को पूर्वनिर्धारित किया जो एक राजा, याजक और भविष्यद्वक्ता के रूप में मसीह का प्रतिनिधित्व करेगा और मसीह की भविष्यवाणी की जो नए नियम के समय में प्रकट होंगे। मसीह दाऊद के समान एक राजा, मलिकिसिदक के समान एक याजक और मूसा के समान एक नबी के रूप में आए थे।
लोग कहते हैं कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं, लेकिन वे आसानी से बाइबल की शिक्षा को स्वीकार नहीं करते हैं कि परमेश्वर मानव जाति के उद्धार के लिए एक मनुष्य के रूप में आते हैं। शरीर में आए परमेश्वर को पूरी तरह से अस्वीकार करने का उनका रवैया यहूदियों के विचारों से अलग नहीं है, जिन्होंने यह कहते हुए यीशु को पथराव करने की कोशिश की, “तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है”(यू 10:33)। ईसाई धर्म का मूल “एक बालक के रूप में पैदा हुए परमेश्वर” अर्थात्, शरीर में आए परमेश्वर पर विश्वास करना है(यश 9:6)। प्रथम चर्च के संतों ने गवाही दी कि यीशु, जो शरीर में पैदा हुए थे, सभी वस्तुओं के सृजनहार थे और परमेश्वर थे जिनकी हमेशा प्रशंसा की जाएगी(यूह 1:1-3; रो 9:5; 1यूह 5:20)।
एक मनुष्य मसीह
2,000 साल पहले यहूदियों का यीशु को मसीह के रूप में स्वीकार नहीं करने का कारण यह था कि वह उनमें से हर एक की तरह शरीर में आए थे(यूह 10:30-33)। दूसरी तरफ, प्रेरितों को यह विश्वास हो गया था कि यीशु, जो उनके समान शरीर में आए थे और जिन्होंने अन्य लोगों की तरह एक शारीरिक जीवन व्यतीत किया था, परमेश्वर थे। नए नियम में प्रेरितों के कई लेखन इस बात पर जोर देते हैं कि हमें यीशु पर विश्वास करना चाहिए जो शरीर में आए थे। प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस को लिखे अपने पत्र में इस तथ्य पर जोर दिया कि यीशु एक मनुष्य हैं।
क्योंकि परमेश्वर एक ही है, और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य है। 1तीमुथियुस 2:4-5
प्रेरित पौलुस ने “मसीह जो मनुष्य है” पर जोर देने के लिए मसीह में “मनुष्य” शब्द जोड़ा। पौलुस ने स्पष्ट रूप से प्रकट किया कि मसीह, जिन पर वह स्वयं विश्वास करता था और जिन्हें समस्त मानवजाति को ग्रहण करना चाहिए, वह हमारे समान ही एक मनुष्य थे। इस प्रकार, प्रेरितों ने मसीह जो मनुष्य हैं पर गर्व किया। इसके विपरीत, यहूदियों ने 2,000 वर्ष पहले यीशु को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया, “तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है।” प्रेरित यूहन्ना ने भी कहा कि जो आत्मा स्वीकार नहीं करती कि यीशु मसीह शरीर में आए हैं, वह मसीह के विरोधी की आत्मा है।
“परमेश्वर का आत्मा तुम इस रीति से पहचान सकते हो : जो आत्मा मान लेती है कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है वह परमेश्वर की ओर से है, और जो आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं। और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है, जिसकी चर्चा तुम सुन चुके हो कि वह आनेवाला है, और अब भी जगत में है। 1यूह 4:2-3
प्रेरित यूहन्ना ने कहा कि वह आत्मा जो स्वीकार करती है कि यीशु शरीर में आए हैं, परमेश्वर की ओर से है। दूसरी तरफ, वह आत्मा जो इस तथ्य को मानती है कि मसीह शरीर में आए हैं, मसीह के विरोधी की आत्मा है, अर्थात्, शैतान की आत्मा जो परमेश्वर का विरोध करता है। प्रेरितों ने दृढ़ता से गवाही दी कि परमेश्वर यानी मसीह मानव जाति को बचाने के लिए शरीर में आए हैं।
मसीह को पहचाननेवालों की आशीष
केवल 2,000 वर्ष पहले ही नहीं, बल्कि इस युग में भी, ऐसे बहुत से लोग हैं जो यह स्वीकार नहीं करते कि परमेश्वर हम में से हर एक की तरह मनुष्य के रूप में आए हैं। उनकी यह रूढ़धारणा कि परमेश्वर अकल्पनीय और महान महिमा के साथ प्रकट होंगे, उनकी आत्मिक आंखें बंद कर देती है; प्रेरितों ने यीशु को सही ढंग से ग्रहण किया, जिन्होंने स्वयं को दीन किया और शरीर में प्रकट हुए। परमेश्वर ने स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ और परमेश्वर की सन्तान बनने का अधिकार उन प्रेरितों को दिया जिन्होंने शरीर में आए परमेश्वर को ग्रहण किया।
शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।” यीशु ने उसको उत्तर दिया, “हे शमौन, योना के पुत्र, तू धन्य है; क्योंकि मांस और लहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है… मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ दूँगा। मत 16:16-19
वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। यूह 1:10-12
हमें रूढ़धारणा के साथ मानव जाति को बचाने के लिए शरीर में आए परमेश्वर को अस्वीकार नहीं करना चाहिए, बल्कि स्वर्ग की अनन्त आशीषों को प्राप्त करने के लिए बाइबल की भविष्यवाणियों के माध्यम से परमेश्वर को सही ढंग से पहचानना और ग्रहण करना चाहिए।
मसीह की मानवता : एक पत्थर जिसके द्वारा लोग ठोकर खाते हैं
जब परमेश्वर इस पृथ्वी पर आते हैं, तो लोग उनसे महान दृश्य महिमा के साथ आने की अपेक्षा करते हैं। क्या यह बाइबल की सही शिक्षा है?
जो समाचार हमें दिया गया, उसका किसने विश्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ? क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले। उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते। यश 53:1-2
यीशु के इस पृथ्वी पर आने से लगभग 700 वर्ष पहले, पुराने नियम में यीशु के “निर्जल भूमि में फूट निकली जड़” के रूप में प्रकट होने के बारे में भविष्यवाणी की गई थी और यह कि वह मानवजाति के पापों के कारण दुख सहेंगे। निर्जल भूमि में फूट निकली जड़ ठीक से विकसित नहीं हो सकती क्योंकि पानी नहीं है। पुराने नियम ने यह भी भविष्यवाणी की थी कि यीशु एक सुंदर रूप के साथ नहीं आएंगे जो लोगों को उन्हें शरीर में परमेश्वर के रूप में पहचानने में सक्षम बनाएगा; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते। बाइबल ने भविष्यवाणी की कि लोगों की अपेक्षा के विपरीत, परमेश्वर ऐसे दीन हीन और नम्र रूप में आएंगे। फिर भी, यदि हम शारीरिक पहलुओं के माध्यम से मसीह को पहचानने का प्रयास करते हैं, तो हम ठोकर खाएंगे।
सेनाओं के यहोवा ही को पवित्र जानना; उसी का डर मानना, और उसी का भय रखना। और वह शरणस्थान होगा, परन्तु इस्राएल के दोनों घरानों के लिये ठोकर का पत्थर और ठेस की चट्टान, और यरूशलेम के निवासियों के लिये फन्दा और जाल होगा। और बहुत से लोग ठोकर खाएँगे, वे गिरेंगे और चकनाचूर होंगे; वे फन्दे में फँसेंगे और पकड़े जाएँगे। यश 8:13-15
इस्राएल के दोनों घराने उन लोगों को दर्शाते हैं जो परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा करते थे। उनके विषय में भविष्यद्वाणी की गई है, कि यहोवा परमेवर श्मनुष्य के लिए ठोकर खाने का पत्थर, और उनको गिराने वाली चट्टान, और उनके लिथे फन्दा और जाल ठहरेंगे, और परमेश्वर के कारण बहुत सारे लोग गिरकर फंस जाएंगे। यदि परमेश्वर ऐसी महिमा में आते हैं, जिससे सब लोग उन्हें परमेश्वर के रूप में स्वीकार कर सकते हैं, तो कोई भी नहीं गिरेगा। चूँकि वह देह में आते हैं, बहुत से लोग गिरते हैं, चकनाचूर होते हैं, और जब वे शरीर में परमेश्वर के शारीरिक पहलुओं को देखते हैं तो वे फँस जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए, मसीह, जो उद्धार के लिए अति आवश्यक है, एक पत्थर बन जाते हैं जो उन्हें ठोकर खिलाता है और एक चट्टान बन जाते हैं जो उन्हें गिरा देती है। प्रेरित पतरस ने गवाही दी कि यशायाह 8 की भविष्यवाणी यीशु के द्वारा पूरी हुई जो शरीर में आए थे।
उसके पास आकर, जिसे मनुष्यों ने तो निकम्मा ठहराया परन्तु परमेश्वर के निकट चुना हुआ और बहुमूल्य जीवता पत्थर है… अत: तुम्हारे लिये जो विश्वास करते हो वह तो बहुमूल्य है। पर जो विश्वास नहीं करते उनके लिये “जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का सिरा हो गया,”और “ठेस लगने का पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान हो गया है,” क्योंकि वे तो वचन को न मानकर ठोकर खाते हैं और इसी के लिये वे ठहराए भी गए थे। 1पत 2:4-8
यीशु एक ऐसा पत्थर बन गए जिसके कारण लोग ठोकर खाते हैं और एक चट्टान जो उन्हें गिरा देती है, इसका कारण यह था कि वह शरीर में इतने विनम्र रूप से प्रकट हुए थे कि लोगों को यह विश्वास नहीं हो रहा था कि वह परमेश्वर हैं। जिन लोगों ने यीशु के जीवन और परिस्थितियों पर विचार करते हुए केवल मसीह के शारीरिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया, वे सब गिर गए। इसलिए पतरस ने कहा कि इसी के लिये वे ठहराए भी गए थे। परमेश्वर ने पहले से ठहराया था कि जो लोग केवल मसीह के शारीरिक पहलुओं को देखते हैं वे उन्हें कभी नहीं पहचानेंगे।
यह बाइबल की भविष्यवाणियां हैं जो गवाही देती हैं कि यीशु ही मसीह हैं, न कि यीशु के शारीरिक पहलू(यूह 5:39)। यहूदियों ने बाइबल की उन भविष्यवाणियों को नज़रअंदाज़ कर दिया जिन्हें यीशु उनके सामने पूरा कर रहे थे, और जब उन्होंने यीशु के शारीरिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जो उनकी अपेक्षाओं से बिल्कुल अलग थे, तो वे गिर गए। आज, हमें मसीह अर्थात्, परमेश्वर जो शरीर में आए हैं, को उनके भौतिक पहलुओं के माध्यम से नहीं बल्कि बाइबल की भविष्यवाणियों के माध्यम सें पहचानना चाहिए।