अंतिम भोज जिसे यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने से एक दिन पहले अपने चेलों के साथ मनाया, वह फसह था। फसह मसीह की इच्छा और सत्य है जिसमें अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा है।
मसीह शब्द का अर्थ है अभिषिक्त, अर्थात् परमेश्वर जो मानव जाति के उद्धार के लिए शरीर में आए। ईसाई धर्म का मूल विश्वास यह है कि उद्धारकर्ता इस पृथ्वी पर एक मनुष्य के रूप में आए थे। हमें उद्धार प्राप्त करने के लिए मसीह के शारीरिक पहलुओं के माध्यम से नहीं बल्कि बाइबल की भविष्यवाणियों पर विश्वास करने के द्वारा मसीह को सही ढंग से पहचानना और ग्रहण करना चाहिए।
यीशु की सुसमाचार की सेवकाई दुख और बलिदान की एक श्रृंखला थी; हालांकि, यीशु ने स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का प्रचार करना बंद नहीं किया। अपनी सेवकाई के अंत में, उन्होंने क्रूस पर अपने बलिदान के द्वारा नई वाचा की स्थापना की।
यीशु स्वभाव में पिता परमेश्वर हैं। पुराने नियम की भविष्यवाणियों के अनुसार यीशु पुत्र के रूप में आए, और हमारे लिए उद्धार प्राप्त करने का मार्ग उदाहरण स्थापित किया। यीशु ने हमें नई वाचा के द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त करने की अनुमति दी है।
भविष्यवाणी के अनुसार कि परमेश्वर[यहोवा] नई वाचा की स्थापना करेंगे, यीशु ने नये नियम के समय में फसह के माध्यम से नई वाचा की स्थापना की। नई वाचा के फसह के माध्यम से, मानवजाति पापों की सम्पूर्ण क्षमा और अनन्त जीवन प्राप्त करने में सक्षम हुई है।
क्या यह सच है कि यहोवा परमेश्वर यीशु मसीह हैं? भले ही वे बहुत अलग दिखते हैं, बाइबल स्पष्ट रूप से गवाही देती है कि यीशु मसीह जो शरीर में आए थे सृष्टिकर्ता यहोवा परमेश्वर हैं।
बाइबल वह पुस्तक है जो हमारे उद्धारकर्ता, यीशु मसीह की गवाही देती है। इसलिए यीशु ने बाइबल के द्वारा अपने बारे में गवाही दी, और चेलों ने भी बाइबल के द्वारा गवाही दी कि यीशु मसीह उद्धारकर्ता हैं। यदि हम उद्धारकर्ता पर विश्वास नहीं करते, जिसकी बाइबल गवाही देती है, तो इससे यह प्रमाणित होता है कि हम बाइबल और परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते।