स्वर्गीय परिवार: परमेश्वर के साथ हमारा संबंध

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लोग परमेश्वर को पिता बुलाते हैं। यह इसलिए है क्योंकि 2,000 वर्ष पहले यीशु ने सिखाया था कि परमेश्वर “स्वर्ग में हमारे पिता” हैं(मत 6:9)। क्या आपको लगता है कि यीशु ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि केवल पिता परमेश्वर हैं?

पिता एक उपाधि है जिसका उपयोग घर में किया जाता है। यदि पिता है, तो संतान हैं, और अवश्य ही एक माता होगी जिसने संतानों को जन्म दिया। बाइबल गवाही देती है कि जैसे पृथ्वी पर एक परिवार है, वैसे ही स्वर्ग में भी एक परिवार है, जिसमें पिता परमेश्वर, माता परमेश्वर और परमेश्वर की सन्तान हैं।

सांसारिक परिवार स्वर्गीय परिवार का प्रतिरूप और छाया है।

वे स्वर्ग में की वस्तुओं के प्रतिरूप और प्रतिबिम्ब की सेवा करते हैं; जैसे जब मूसा तम्बू बनाने पर था, तो उसे यह चेतावनी मिली, “देख, जो नमूना तुझे पहाड़ पर दिखाया गया था, उसके अनुसार सब कुछ बनाना।” इब्र 8:5

पुराने नियम के समय में, परमेश्वर ने मूसा को स्वर्गीय पवित्रस्थान के नमूने के अनुसार सांसारिक पवित्रस्थान बनाने की आज्ञा दी। इसका उद्देश्य इस्राएलियों को सांसारिक पवित्रस्थान के द्वारा अदृश्य स्वर्गीय पवित्रस्थान को समझने में मदद करना था। परमेश्वर की यही इच्छा परिवार प्रणाली में भी दिखाई देती है। परमेश्वर ने सांसारिक परिवार प्रणाली को एक प्रतिरूप और छाया के रूप में बनाया ताकि हम उस स्वर्गीय परिवार को आसानी से समझ सकें जिसे हम नहीं देख सकते।

फिर जब कि हमारे शारीरिक पिता भी हमारी ताड़ना किया करते थे और हमने उनका आदर किया, तो क्या आत्माओं के पिता के और भी अधीन न रहें जिससे हम जीवित रहें। इब्र 12:9

बाइबल हमें आत्मिक पिता के प्रति हमारे कर्तव्य के बारे में सिखाने के लिए शारीरिक पिता का उदाहरण देती है। इससे पता चलता है कि सांसारिक पिता, पिता परमेश्वर का प्रतिरूप और छाया है, जो वास्तविकता हैं।

स्वर्गीय परिवार के सदस्य

एक पिता वह व्यक्ति है जिसके पास संतान है। एक आदमी को “पिता” कहलाने के लिए उसके पास अवश्य ही संतान होनी चाहिए। इसी तरह, तथ्य यह है कि परमेश्वर को “पिता” कहा जाता है, इसका अर्थ है कि उनकी संतान हैं।

इसलिये प्रभु कहता है… “मैं तुम्हें ग्रहण करूंगा; और मैं तुम्हारा पिता हूंगा, और तुम मेरे बेटे और बेटियां होगे। यह सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर का वचन है।” 2कुर 6:17-18

बाइबल कहती है कि संत परमेश्वर के बेटे और बेटियां हैं। लेकिन क्या पिता अकेले संतान को जन्म दे सकता है? नहीं, वह नहीं कर सकता। केवल माता ही गर्भ धारण करती है और अंत में संतान को जीवन देती है। माता के बिना संतान नहीं होतीं, संतान के बिना, एक पुरुष के पास पिता की उपाधि नहीं हो सकती। पिता की उपाधि से हम अनुमान लगा सकते हैं कि संतान और माता का अस्तित्व है; इसी तरह, पिता परमेश्वर की उपाधि माता परमेश्वर के अस्तित्व को साबित करती है।

पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है। गल 4:26

यहां, “ऊपर” का अर्थ स्वर्ग है। बाइबल स्पष्ट रूप से गवाही देती है कि माता परमेश्वर हैं। सांसारिक परिवार हमें दिखाता है कि हमारे पास स्वर्गीय परिवार है जिसमें स्वर्गीय पिता, स्वर्गीय संतान और स्वर्गीय माता शामिल हैं।

स्वर्गीय माता हमें अनन्त जीवन देती हैं

इस दुनिया में हर किसी की माता होती है। अवश्य ही पिता होना चाहिए। लेकिन जीवन के पैदा होने में माता मुख्य भूमिका निभाती है। यह पक्षियों, मछलियों और जानवरों जैसी सभी जीवित प्राणियों के लिए सच है। परमेश्वर ने अपनी इच्छा के अनुसार सभी वस्तुओं की सृष्टि की, और सांसारिक वस्तुओं को स्वर्ग की वस्तुओं के प्रतिरूप और छाया के रूप में बनाया(प्रक 4:11; इब्र 8:5)। संतानों को अपनी माता से जीवन प्राप्त करने के पीछे परमेश्वर की इच्छा क्या है? वह हमें यह दिखाने के लिए है कि अनंत जीवन भी पिता परमेश्वर के साथ माता परमेश्वर के द्वारा दिया जाता है।

फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं…” उत 1:26

मानवजाति ने लंबे समय से परमेश्वर को केवल नर स्वरूप के रूप में समझा है और उन्हें “पिता परमेश्वर” कहा है। यदि सृष्टिकर्ता परमेश्वर जिन्होंने मनुष्य को बनाया, केवल पिता परमेश्वर थे, तो अवश्य ही परमेश्वर को ऐसा कहना चाहिए था, “मैं मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाऊंगा।” लेकिन ऐसा कहने के बजाए, परमेश्वर ने “हम” शब्द का उपयोग किया। परमेश्वर ने क्यों खुद को “हम” कहा? निम्नलिखित आयत हमें उसका कारण बताती है।

तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। उत 1:27

परमेश्वर ने अपने स्वरूप के अनुसार, और अपनी समानता में मनुष्य को बनाया। परिणामस्वरूप, नर और नारी की सृष्टि की गई। इसका मतलब है कि परमेश्वर में नर और नारी स्वरूप मौजूद हैं। यदि हमने नर स्वरूप के परमेश्वर को “पिता” कहा है, तो हमें नारी स्वरूप के परमेश्वर को क्या कहना चाहिए? हमें उन्हें “माता” कहकर बुलाना चाहिए। आदि से ही, बाइबल ने अनन्त जीवन देने वाली माता परमेश्वर के अस्तित्व के बारे में गवाही दी। इसलिए, हमें पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर दोनों पर विश्वास करना चाहिए जैसा कि बाइबल गवाही देती है।

परिवार लहू से संबंधित है

पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर पर विश्वास करना हमारे लिए स्वर्गीय परिवार से संबंधित होने के लिए पर्याप्त नहीं है। इस दुनिया में, माता-पिता और संतान लहू के रिश्ते से जुड़े होते हैं; इसी तरह, हमें परमेश्वर की सच्ची संतान बनने के लिए परमेश्वर का लहू प्राप्त करना चाहिए। इस कारण से, यीशु हमारे लिए वह सत्य जो हमें परमेश्वर के लहू को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, यानी नई वाचा का फसह लेकर आए।

जब घड़ी आ पहुंची, तो वह प्रेरितों के साथ भोजन करने बैठा। और उसने उनसे कहा, “मुझे बड़ी लालसा थी कि दु:ख भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊं।”… इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।” लूक 22:14-15, 20

किसे यीशु का लहू कहा गया? वह फसह का दाखमधु है। फसह मनाने के द्वारा, हम परमेश्वर का लहू विरासत में पा सकते हैं। नई वाचा का फसह एक बहुमूल्य सत्य है जो हमें स्वर्गीय संतान बनने की अनुमति देता है।

जब हम परमेश्वर की संतान बनते हैं, तो हम परमेश्वर के वारिस भी बनते हैं जो अनन्त स्वर्ग के उत्तराधिकारी होंगे(रो 8:16-17)। कुछ लोग परमेश्वर और उनके लोगों के बीच के संबंध को स्वामी-दास के संबंध के रूप में परिभाषित करते हैं, लेकिन यह विचार बाइबल के विपरीत है। बाइबल के अनुसार, परमेश्वर हमारे आत्मिक पिता और आत्मिक माता हैं, और हम आत्मिक लहू से संबंधित परमेश्वर की संतान हैं। स्वर्गीय परिवार के सदस्य बनने का तरीका, जो महिमामय राज्य में अनन्त खुशी का आनंद लेंगे, पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर पर विश्वास करना और नई वाचा का फसह मनाना है।

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