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सारांश
बाइबल में विपत्ति और न्याय के बारे में भविष्यवाणियां हैं, और उनमें परमेश्वर द्वारा अपने लोगों को प्रदान किए गए सत्य भी हैं जो उन्हें न्याय से बचाते हैं। मसीह आन सांग होंग ने इस पुस्तक में वाचा के महत्व को उन लोगों के इतिहास के माध्यम से जागृत किया जिन्होंने परमेश्वर की वाचा का पालन नहीं किया और उनका न्याय किया गया। उन्होंने यह भी गवाही दी कि जो लोग अन्तिम विपत्ति से बचाए जाएंगे, वे वही हैं जो नई वाचा के सुसमाचार अर्थात् परमेश्वर की मुहर, नई वाचा के फसह का पालन करते हैं जिसका मसीह ने प्रचार किया।
प्रस्तावना
यह पुस्तक शुभ समाचार के बारे में है कि परमेश्वर के लोग परमेश्वर की मुहर पाएंगे जिसके द्वारा वे अन्तिम विपत्ति और बड़े उत्पीड़न से बच सकेंगे।
निकट भविष्य में, संसार पर सात विपत्तियां लाई जाएंगी। अब तक झूठे नबी लोगों को यह कहकर भ्रमित कर रहे हैं कि “यीशु जल्दी आएंगे।” लेकिन जैसे कि आप जानते हैं, जहां सत्य है वहां झूठ हमेशा प्रकट होता है और कार्य करता है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जहां झूठ है वहां सत्य छिपा हुआ है। यदि आप इसे मन में रख कर, इस पुस्तक को पढ़ेंगे, तो आप आसानी से जीवन के सत्य को खोज सकेंगे। कृपया इस पुस्तक पर देर किए बिना गंभीरता से गौर कीजिए, ताकि आप सात विपत्तियों से बच सकें जो निकट आ रही हैं।
इस पुस्तक का शुभ समाचार यह है कि नूह के जहाज के जैसा, जो कोई सत्य में प्रवेश करेगा वह बचाया जाएगा। विभिन्न प्रकार के जानवरों ने नूह के जहाज में प्रवेश किया। इसका कारण यह नहीं था कि वे निष्पाप थे। उसी प्रकार जो कोई सत्य में प्रवेश करेगा वह चाहे पापी हो या नहीं, बचाया जाएगा। मुझे आशा है कि आप यह पुस्तक गंभीरता से पढ़ें और मुहर प्राप्त करके अनन्त जीवन में प्रवेश करें।
विषय सूची
- अध्याय 1 अन्तिम विपत्ति और न्याय
- अध्याय 2 फसह के पर्व का रहस्य
- अध्याय 3 वाचा को त्याग देने के द्वारा बेबीलोन में बंदी बने
- अध्याय 4 दस आज्ञाएं और अक्षर
- अध्याय 5 पुरानी वाचा नई वाचा में बदल गई है
- अध्याय 6 पुरानी वाचा और नई वाचा की तुलना सारणी
- अध्याय 7 मलिकिसिदक की रीति
- अध्याय 8 नई वाचा की रीति
- अध्याय 9 नई वाचा ही सुसमाचार है
- अध्याय 10 सुसमाचार का सेवक नई वाचा का सेवक है
- अध्याय 11 फसह का पर्व और अंतिम भोज
- अध्याय 12 फसह का पर्व दुष्टात्माओं के निवास को प्रकाशित करता है
- अध्याय 13 नई वाचा पापों को शुद्ध करती है
- अध्याय 14 परमेश्वर का मुहर लगाने का कार्य
- अध्याय 15 क्या सब्त का दिन परमेश्वर की मुहर है?
- अध्याय 16 परमेश्वर की मुहर क्या है?
- अध्याय 17 यीशु का शरीर परमेश्वर की मुहर है
- अध्याय 18 जो लोग नियत पर्वों में सम्मिलित न होने के कारण खेदित रहते हैं
अध्याय 1 अन्तिम विपत्ति और न्याय
मत 24:37-39 『जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उनमें विवाह होते थे। और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उनको कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।』
और प्रेरित पौलुस ने थिस्सलुनीकियों में चर्च के संतों को इस प्रकार लिखा है:
1थिस 5:1-3 『पर हे भाइयो, इसका प्रयोजन नहीं कि समयों और कालों के विषय में तुम्हारे पास कुछ लिखा जाए। क्योंकि तुम आप ठीक जानते हो कि जैसा रात को चोर आता है, वैसा ही प्रभु का दिन आनेवाला है। जब लोग कहते होंगे, “कुशल है, और कुछ भय नहीं,” तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा, जिस प्रकार गर्भवती पर पीड़ा; और वे किसी रीति से न बचेंगे।』 प्रेरित पतरस ने ऊपर के “समय” के बारे में भविष्यवाणी की:
2पत 3:6-7 『इसी के कारण उस युग का जगत जल में डूब कर नष्ट हो गया। पर वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी उसी वचन के द्वारा इसलिये रखे गए हैं कि जलाए जाएं; और ये भक्तिहीन मनुष्यों के न्याय और नष्ट होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे।』
2पत 3:10-13 『परन्तु प्रभु का दिन चोर के समान आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएंगे और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएंगे। जबकि ये सब वस्तुएं इस रीति से पिघलनेवाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल-चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए, और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए, जिसके कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएंगे। पर उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिनमें धार्मिकता वास करेगी।』 प्रेरित यूहन्ना ने उस दृश्य का वर्णन किया जब अन्तिम विपत्ति डाली जाएगी:
प्रक 16:17-21 『सातवें स्वर्गदूत ने अपना कटोरा हवा पर उंडेल दिया, और मंदिर के सिंहासन से यह बड़ा शब्द हुआ, “हो चुका!” फिर बिजलियां चमकीं, और शब्द और गर्जन हुए, और एक ऐसा बड़ा भूकम्प आया कि जब से मनुष्य की उत्पत्ति पृथ्वी पर हुई, तब से ऐसा बड़ा भूकम्प कभी न आया था। इससे उस बड़े नगर के तीन टुकड़े हो गए, और जाति जाति के नगर गिर पड़े; और बड़े बेबीलोन का स्मरण परमेश्वर के यहां हुआ कि वह अपने क्रोध की जलजलाहट की मदिरा उसे पिलाए। और हर एक टापू अपनी जगह से टल गया; और पहाड़ों का पता न चला…』
और पुराने नियम में भी यह लिखा हुआ है:
सपन 1:14-18 『यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है; यहोवा के दिन का शब्द सुन पड़ता है, वहां वीर दु:ख के मारे चिल्लाता है। वह रोष का दिन होगा, वह संकट और सकेती का दिन, वह उजाड़ और विनाश का दिन, वह अन्धेर और घोर अन्धकार का दिन, वह बादल और काली घटा का दिन होगा। वह गढ़वाले नगरों और ऊंचे गुम्मटों के विरुद्ध नरसिंगा फूंकने और ललकारने का दिन होगा। मैं मनुष्यों को संकट में डालूंगा, और वे अन्धों के समान चलेंगे, क्योंकि उन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है; उनका लहू धूलि के समान, और उनका मांस विष्ठा के समान फेंक दिया जाएगा। यहोवा के रोष के दिन में, न तो चांदी से उनका बचाव होगा, और न सोने से; क्योंकि उसके जलन की आग से सारी पृथ्वी भस्म हो जाएगी; वह पृथ्वी के सारे रहनेवालों को घबराकर उसका अन्त कर डालेगा।』
मला 4:1-3 『“क्योंकि देखो, वह धधकते भट्ठे का सा दिन आता है, जब सब अभिमानी और सब दुराचारी लोग अनाज की खूंटी बन जाएंगे; और उस आनेवाले दिन में वे ऐसे भस्म हो जाएंगे कि उनका पता तक न रहेगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। परन्तु तुम्हारे लिये जो मेरे नाम का भय मानते हो, धर्म का सूर्य उदय होगा, और उसकी किरणों के द्वारा तुम चंगे हो जाओगे; और तुम निकलकर पाले हुए बछड़ों के समान कूदोगे और फांदोगे। तब तुम दुष्टों को लताड़ डालोगे, अर्थात् मेरे उस ठहराए हुए दिन में वे तुम्हारे पांवों के नीचे की राख बन जाएंगे, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।”』
अनेक भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा लिखी गई ऊपर की भविष्यवाणियां अन्त के दिनों के बारे में हैं। आज जिन लोगों को इस युग का पूर्वाभास हो चुका है वे समाचार देते हैं: “पृथ्वी सिर्फ एक बटन दबाने पर पूरी तरह से नष्ट हो सकती है”(ग्यंगनाम दैनिक अखबार, 20 अक्टूबर, 1977), और कुक्जेशिनबो अखबार के 12 मार्च 1976 के अंक में रिपोर्ट दी गई: “अमेरिका के वाशिंगटन डी.सी. में 97 भूमिगत शहर परमाणु युद्ध में बचने के लिए बनाए गए हैं।” यह सब लोगों के लिए चेतावनी है।
अब संसार में ऐसा निराशाजनक युग आ चुका है जिसमें लोग दुर्दशा और दुविधा में पड़ कर अपने मन को नियंत्रण में रखने में असफल हुए हैं। मगर जब चेतावनी का समाचार आता है, तब उद्धार का समाचार हमेशा साथ आता है। जैसा कि लिखा है:
यिर्म 4:5-6 『यहूदा में प्रचार करो और यरूशलेम में यह सुनाओ : “पूरे देश में नरसिंगा फूंको; गला खोलकर ललकारो और कहो, ‘आओ, हम इकट्ठे हों और गढ़वाले नगरों में जाएं!’ सिय्योन के मार्ग में झण्डा खड़ा करो, अपना सामान बटोरके भागो, खड़े मत रहो, क्योंकि मैं उत्तर की दिशा से विपत्ति और सत्यानाश ले आया हूं।』 और यह लिखा है:
सपन 2:1-3 『हे निर्लज्ज जाति के लोगो, इकट्ठे हो! इससे पहले कि दण्ड की आज्ञा पूरी हो और बचाव का दिन भूसी के समान निकले, और यहोवा का भड़कता हुआ क्रोध तुम पर आ पड़े, और यहोवा के क्रोध का दिन तुम पर आए, तुम इकट्ठे हो। हे पृथ्वी के सब नम्र लोगो, हे यहोवा के नियम के माननेवालो, उसको ढूंढ़ते रहो; धर्म को ढूंढ़ो, नम्रता को ढूंढ़ो; सम्भव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ।』
इस समय अत्यावश्यक यह है कि हम उद्धार के समाचार को सुनें। चाहे पृथ्वी का अन्त विश्व युद्ध के द्वारा हो या परमेश्वर की शक्ति के द्वारा हो, बाइबल में कुछ भविष्यवाणियां हमें विपत्ति से बचने का रास्ता बताती हैं। तो आइए हम उन्हें पढ़ें। बाइबल में युग के अंत के बारे में बहुत सारी भविष्यवाणियां हैं। जो कोई उन पर पूर्ण रूप से विश्वास करता है और उनका पालन करता है, वह बचाया जाएगा।
मनुष्य जो उद्धार के समाचार पर विश्वास नहीं करता, चाहे वह अपने विचार से बचने के लिए धन खर्च करते हुए अपने लिए तलघर बनाता है या रॉकेट के द्वारा दूसरे ग्रह पर चला जाता है या कहीं शांत स्थान पर चला जाता है या परमाणु पनडुब्बी के द्वारा उत्तरध्रुवीय सागर के नीचे छिप जाता है, तो वह थोड़े समय तक विपत्ति से बच सकेगा, परन्तु अनंत जीवन नहीं पाएगा। इसके संबंध में, बाइबल में भविष्यवाणी है:
सपन 1:18 『यहोवा के रोष के दिन में, न तो चांदी से उनका बचाव होगा, और न सोने से…』 और आमोस नबी ने लिखा है:
आम 9:2-4 『“क्योंकि चाहे वे खोदकर अधोलोक(तहखाना) में उतर जाएं, तो वहां से मैं हाथ बढ़ाकर उन्हें लाऊंगा; चाहे वे आकाश पर चढ़ जाएं, तो वहां से मैं उन्हें उतार लाऊंगा। चाहे वे कर्म्मेल में छिप जाएं, परन्तु वहां भी मैं उन्हें ढूंढ़-ढूंढ़कर पकड़ लूंगा, और चाहे वे समुद्र की थाह में मेरी दृष्टि से ओट हों, वहां भी मैं सर्प को उन्हें डसने की आज्ञा दूंगा। चाहे शत्रु उन्हें हांककर बंधुआई में ले जाएं, वहां भी मैं आज्ञा देकर तलवार से उन्हें घात कराऊंगा; और मैं उन पर भलाई करने के लिये नहीं, बुराई ही करने के लिये दृष्टि करूंगा।”』
अब समय आ गया है कि हम मनुष्य के तरीकों का प्रयोग करने के बजाय परमेश्वर के मार्गदर्शन के अनुसार, बाइबल की भविष्यवाणियों के आधार पर उद्धार पाने के तरीके का अध्ययन करें और उसी मार्ग पर चलें।
जो भविष्यवाणी पर विश्वास करते हैं उन्हें बचाने के लिए परमेश्वर ने पुराने इतिहास को एक छाया के रूप में दिखाया है। यह इस प्रकार है:
निर्ग 12:12-14 『क्योंकि उस रात को मैं मिस्र देश के बीच में होकर जाऊंगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मारूंगा; और मिस्र के सारे देवताओं को भी मैं दण्ड दूंगा; मैं यहोवा हूं। और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लहू तुम्हारे लिए चिन्ह ठहरेगा; अर्थात् मैं उस लहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूंगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नष्ट न होगे। और वह दिन तुम को स्मरण दिलानेवाला ठहरेगा, और तुम उसको यहोवा के लिये पर्व करके मानना; वह दिन तुम्हारी पीढ़ियों में सदा की विधि जानकर पर्व माना जाए।』
इब्रानियों 11:28 में लिखा है, “विश्वास ही से उस ने फसह और लहू छिड़कने की विधि मानी, कि पहिलौठों का नाश करनेवाला इस्राएलियों पर हाथ न डाले।” इस वचन का अर्थ है कि कोई भी विपत्ति उन पर नहीं आई जिन्होंने फसह के पर्व का पालन किया, क्योंकि फसह के मेमने का लहू उनके लिए एक चिह्न बना था।
निर्गमन के बाद लगभग 586 ई.पू. में, जब यहूदा बेबीलोन के आक्रमण से नष्ट होने वाला था और यरूशलेम तबाह होने वाला था, यिर्मयाह नबी ने लोगों को यहूदा के नष्ट होने का कारण इस प्रकार घोषित किया:
यिर्म 11:1-4 『यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा : “इस वाचा के वचन सुनो, और यहूदा के पुरुषों और यरूशलेम के रहनेवालों से कहो। उन से कहो, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है : स्रापित है वह मनुष्य, जो इस वाचा के वचन न माने जिसे मैं ने तुम्हारे पुरखाओं के साथ लोहे की भट्ठी अर्थात् मिस्र देश में से निकालने के समय, यह कहके बांधी थी(जिस दिन परमेश्वर ने उन्हें मिस्र से निकाल लाया वह दिन फसह का पर्व था), मेरी सुनो, और जितनी आज्ञाएं मैं तुम्हें देता हूं उन सभों का पालन करो। इस से तुम मेरी प्रजा ठहरोगे, और मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूंगा।”』 इस प्रकार यिर्मयाह ने घोषित किया, फिर भी इस्राएलियों ने उसकी नहीं सुनी। आखिरकार बेबीलोन के आक्रमण से वे नष्ट हो गए। यिर्मयाह ने फिर से गवाही दी:
यिर्म 16:10-11 『“जब तू इन लोगों से ये सब बातें कहे, और वे तुझ से पूछें, ‘यहोवा ने हमारे ऊपर यह सारी बड़ी विपत्ति डालने के लिये क्यों कहा है? हमारा अधर्म क्या है और हम ने अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध कौन सा पाप किया है?’ तो तू इन लोगों से कहना, ‘यहोवा की यह वाणी है : क्योंकि तुम्हारे पुरखा मुझे त्यागकर दूसरे देवताओं के पीछे चले, और उनकी उपासना करके उनको दण्डवत् की, और मुझ को त्याग दिया और मेरी व्यवस्था का पालन नहीं किया’…”』
यिर्म 44:23 『“क्योंकि तुम धूप जलाकर यहोवा के विरुद्ध पाप करते और उसकी नहीं सुनते थे, और उसकी व्यवस्था और विधियों और चितौनियों के अनुसार नहीं चले, इस कारण यह विपत्ति तुम पर आ पड़ी है, जैसे कि आज है।”』
और यशायाह नबी ने चेतावनी दी कि पृथ्वी पूर्णत: नष्ट होगी, क्योंकि लोगों ने सनातन वाचा को तोड़ा है।
यश 24:3-5 『पृथ्वी शून्य और उजाड़ हो जाएगी; क्योंकि यहोवा ही ने यह कहा है। पृथ्वी विलाप करेगी और मुर्झाएगी, जगत कुम्हलाएगा और मुर्झा जाएगा; पृथ्वी के महान् लोग भी कुम्हला जाएंगे। पृथ्वी अपने रहनेवालों के कारण अशुद्ध हो गई है, क्योंकि उन्होंने व्यवस्था का उल्लंघन किया और विधि को पलट डाला, और सनातन वाचा को तोड़ दिया है।』
सनातन वाचा का मतलब नई वाचा है जिसे यीशु मसीह ने स्थापित किया।
अध्याय 2 फसह के पर्व का रहस्य
लूक 22:20 『… “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।”』
इब्र 13:20 『अब शान्तिदाता परमेश्वर, जो हमारे प्रभु यीशु को जो भेड़ों का महान् रखवाला है सनातन वाचा के लहू के गुण से मरे हुओं में से जिलाकर ले आया…』
पुराने नियम के समय जिन्होंने अच्छी तरह से पुरानी वाचा का पालन किया वे विपत्ति से बचाए गए, और नए नियम के समय जो नई वाचा का पालन करते हैं वे विपत्ति से बचाए जाएंगे। 1498 ई.पू. में जब इस्राएली मिस्र से बाहर आए, फसह के मेमने का लहू उनके लिए एक चिह्न बना जिससे वे विपत्ति से बचाए गए। और राजा हिजकिय्याह के दिनों में भी, राजा हिजकिय्याह और उसके लोग जिन्होंने फसह का पर्व मनाया, यरूशलेम नगर में स्वर्गदूतों की सहायता के द्वारा अश्शूर के आक्रमण से बचाए गए। उसका इतिहास इस प्रकार है:
2इत 30:4-10 『यह बात राजा और सारी मण्डली को अच्छी लगी। तब उन्होंने यह ठहरा दिया कि बेर्शेबा से लेकर दान के सारे इस्राएलियों में यह प्रचार किया जाये, कि यरूशलेम में इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये फसह मनाने को चले आओ; क्योंकि उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में उसको इस प्रकार न मनाया था जैसा कि लिखा है। इसलिये हरकारे राजा और उसके हाकिमों से चिट्ठियां लेकर, राजा की आज्ञा के अनुसार सारे इस्राएल और यहूदा में घूमे, और यह कहते गए, “हे इस्राएलियो! अब्राहम, इसहाक, और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो(फसह मनाने के लिए आओ), कि वह अश्शूर के राजाओं के हाथ से बचे हुए तुम लोगों की ओर फिरे। अपने पुरखाओं और भाइयों के समान मत बनो जिन्होंने अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा से विश्वासघात किया था, और उसने उन्हें चकित होने का कारण कर दिया, जैसा कि तुम स्वयं देख रहे हो। अब अपने पुरखाओं के समान हठ न करो, वरन् यहोवा के आधीन होकर उसके उस पवित्रस्थान में आओ जिसे उसने सदा के लिये पवित्र किया है, और अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करो, कि उसका भड़का हुआ क्रोध तुम पर से दूर हो जाए। यदि तुम यहोवा की ओर फिरोगे(यदि तुम फसह मनाने के लिए आओगे) तो जो तुम्हारे भाइयों और बाल-बच्चों को बन्दी बनाके ले गए हैं, वे उन पर दया करेंगे, और वे इस देश में लौट सकेंगे क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा(जो मन फिरा कर फसह मनाते हैं उनके लिए) अनुग्रहकारी और दयालु है, और यदि तुम उसकी ओर फिरोगे तो वह अपना मुंह तुम से न मोड़ेगा।” इस प्रकार हरकारे एप्रैम और मनश्शे के देशों(सामरिया) में नगर नगर होते हुए जबूलून तक गए; परन्तु उन्होंने उनकी हंसी की, और उन्हें(हरकारों को) ठट्ठों में उड़ाया।』
ऊपर लिखे वचनों का विस्तृत विवरण इस प्रकार है: उस समय यहूदा के लोगों ने लम्बे समय से परमेश्वर के पवित्र पर्वों को नहीं मनाया था, परन्तु जैसे ही राजा हिजकिय्याह सिंहासन पर बैठा, उन्होंने यशायाह नबी की सलाह पर टूटे हुए मन्दिर की मरम्मत की(2इत 29:1-3), और निश्चय किया कि 726 ई.पू. में पवित्र वर्ष के अनुसार दूसरे महीने के चौदहवें दिन वे फसह का पर्व मनाएंगे, और हरकारों को सामरिया तक भेजा, परन्तु सामरिया के लोग जिन्होंने 250 वर्ष से अधिक समय से फसह का पर्व नहीं मनाया था, न तो फसह के पर्व के बारे में जानते थे और न ही उसकी अत्यंत गहरी सच्चाई के बारे में जानते थे। इस कारण से जब हरकारे अच्छा समाचार लेकर आए, उन्होंने उनका मज़ाक उड़ाया(2इत 30:10)।
3 वर्ष के बाद, अश्शूर के राजा शल्मनेसेर ने सामरिया पर चढ़ाई करके उसे घेर लिया। 721 ई.पू. में, इस्राएल के राजा होशे के नौवें वर्ष में, घेरे जाने के तीन वर्ष बाद, सामरिया के लोग जिन्होंने हरकारों का अपमान करके मज़ाक उड़ाया था, बंदी बनाए गए और उनका अन्त हुआ; लाखों लोगों की मौत हुई, लाखों लोग बन्दी बनाए गए और लाखों लोग जाति जाति में बिखर गए और भटक गए। सामरिया जिसमें यारोबाम 975 ई.पू. में राजा बना था, 254 वर्ष के बाद पूर्णत: नष्ट किया गया, क्योंकि लोगों ने यहोवा के फसह के पर्व को अस्वीकार किया और मूर्तिपूजा की।
2रा 18:9-12 『राजा हिजकिय्याह के चौथे वर्ष में जो एला के पुत्र इस्राएल के राजा होशे का सातवां वर्ष था, अश्शूर के राजा शल्मनेसेर ने शोमरोन(सामरिया, आईबीपी बाइबल) पर चढ़ाई करके उसे घेर लिया। तीन वर्ष के बीतने पर उन्होंने उसको ले लिया। इस प्रकार हिजकिय्याह के छठवें वर्ष में जो इस्राएल के राजा होशे का नौवां वर्ष था, शोमरोन ले लिया गया। तब अश्शूर का राजा इस्राएलियों को बन्दी बनाकर अश्शूर में ले गया, और हलह में और गोजान की नदी हाबोर के पास और मादियों के नगरों में उन्हें बसा दिया। इसका कारण यह था कि उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा की बात न मानी, वरन् उसकी वाचा को तोड़ा, और जितनी आज्ञाएं यहोवा के दास मूसा ने दी थीं उनको टाल दिया और न उनको सुना और न उनके अनुसार किया।』
यद्यपि यहूदा के लोग ऐसे ही प्रतीत हुए कि वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं, परन्तु न तो उन्होंने सबसे महत्त्वपूर्ण व्यवस्था फसह के पर्व को महसूस किया और न ही उसे मनाया। इसी कारण उन पर बार बार दूसरे राज्यों का आक्रमण हुआ और वे पीड़ित हुए।
परमेश्वर ने कभी कभी उनके पास नबियों को भेजा, जिनसे उन्होंने फसह और परमेश्वर की व्यवस्थाओं और नियमों का पालन किया और वे परमेश्वर की सुरक्षा में रहे।
यशायाह नबी की सलाह पाकर, राजा हिजकिय्याह ने सिंहासन पर बैठते ही, तुरंत फसह का पर्व मनाया और उसका प्रचार किया, क्योंकि उसने परमेश्वर की आशीष से अपने राज्य को सुरक्षित करना चाहा, और उसे दुखों के समय परमेश्वर से सुरक्षा पाने की इच्छा थी। सचमुच, उसके विश्वास और कार्य के अनुसार जब से राजा हिजकिय्याह और उसके लोगों ने फसह का पर्व मनाया, यहूदा परमेश्वर की सुरक्षा में था और दुखों के समय भी सुरक्षित किया गया।
2रा 19:30-35 『और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़ पकड़ेंगे, और फलेंगे भी। क्योंकि यरूशलेम में से बचे हुए और सिय्योन पर्वत के भागे हुए लोग निकलेंगे। यहोवा यह काम अपनी जलन के कारण करेगा। “इसलिये यहोवा अश्शूर के राजा के विषय में यों कहता है कि वह इस नगर में प्रवेश करने, वरन् इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा, और न वह ढाल लेकर इसके सामने आने, या इसके विरुद्ध दमदमा बनाने पाएगा। जिस मार्ग से वह आया, उसी से वह लौट भी जाएगा, और इस नगर में प्रवेश न करने पाएगा, यहोवा की यही वाणी है। और मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त इस नगर की रक्षा करके इसे बचाऊंगा।” उसी रात में क्या हुआ कि यहोवा के दूत ने निकलकर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हज़ार पुरुषों को मारा, और भोर को जब लोग उठे, तब देखा, कि शव ही शव पड़े हैं।』
सामरिया नष्ट हो गया, क्योंकि लोगों ने फसह का पर्व नहीं मनाया था। परन्तु यहूदा के लोगों ने फसह के पर्व से छुटकारे की छाप पाकर परमेश्वर की सुरक्षा में 586 ई.पू. तक अपना इतिहास जारी रखा। परन्तु बाद में यहूदा पर भी बेबीलोन का आक्रमण हुआ, और 70 वर्षों तक यरूशलेम नष्ट हो गया, क्योंकि उनके वंशजों ने परमेश्वर की वाचा को त्याग दिया। उनमें से कुछ लोग जिन्होंने सच्चे भविष्यद्वक्ताओं के शब्दों का पालन किया, अपने देश वापस लौट सके, परन्तु दूसरे लोग जिन्होंने झूठे नबियों के शब्दों को माना, नष्ट हो गए।
अब, आइए हम उन दिनों की घटनाओं का विस्तार से अध्ययन करें जो इस युग के प्रति परमेश्वर की इच्छा जानने के लिए हमें बुद्धि देंगी।
अध्याय 3 वाचा को त्याग देने के द्वारा बेबीलोन में बंदी बने
करीब 587 ई.पू. में फसह के पर्व और परमेश्वर की वाचा को त्याग देने के कारण यहूदा पर बेबीलोन का आक्रमण हुआ; यरूशलेम पर कब्जा किया गया, लाखों लोग मारे गए, और सैकड़ों हजारों लोग बन्दी बनाए गए। उन्होंने 70 वर्ष पूरे होने तक थकाऊ जीवन बिताया जैसे कि यिर्मयाह नबी ने भविष्यवाणी की थी। जैसा कि लिखा है:
यिर्म 44:22-23 『“क्या उसने उसको स्मरण न किया? इसलिये जब यहोवा तुम्हारे बुरे और सब घृणित कामों को और अधिक न सह सका, तब तुम्हारा देश उजड़कर निर्जन और सुनसान हो गया, यहां तक कि लोग उसकी उपमा देकर शाप दिया करते हैं, जैसे कि आज होता है। क्योंकि तुम धूप जलाकर यहोवा के विरुद्ध पाप करते और उसकी नहीं सुनते थे, और उसकी व्यवस्था और विधियों और चितौनियों के अनुसार नहीं चले, इस कारण यह विपत्ति तुम पर आ पड़ी है, जैसे कि आज है।”』 और जैसा कि लिखा है:
2रा 24:14 『फिर वह पूरे यरूशलेम को अर्थात् सब हाकिमों और सब धनवानों को जो मिलकर दस हजार थे, और सब कारीगरों और लोहारों को बन्दी बना कर ले गया, यहां तक कि साधारण लोगों में से कंगालों को छोड़ और कोई न रह गया।』
2रा 25:8-12 『बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर के उन्नीसवें वर्ष के पांचवें महीने के सातवें दिन को अंगरक्षकों का प्रधान नबूजरदान जो बेबीलोन के राजा का एक कर्मचारी था, यरूशलेम में आया। उसने यहोवा के भवन और राजभवन और यरूशलेम के सब घरों को अर्थात् हर एक बड़े घर को आग लगाकर फूंक दिया। यरूशलेम के चारों ओर की शहरपनाह को कसदियों की पूरी सेना ने जो अंगरक्षकों के प्रधान के संग थी, ढा दिया। जो लोग नगर में रह गए थे, और जो लोग बेबीलोन के राजा के पास भाग गए थे, और साधारण लोग जो रह गए थे, इन सभों को अंगरक्षकों का प्रधान नबूजरदान बन्दी बना कर ले गया। परन्तु अंगरक्षकों के प्रधान ने देश के कंगालों में से कुछ को दाख की बारियों की सेवा और काश्तकारी करने को छोड़ दिया।』 और यिर्मयाह नबी ने लिखा है:
यिर्म 25:11-14 『“सारी जातियों का यह देश उजाड़ ही उजाड़ होगा, और ये सब जातियां सत्तर वर्ष तक बेबीलोन के राजा के आधीन रहेंगी। जब सत्तर वर्ष बीत चुकें, तब मैं बेबीलोन के राजा और उस जाति के लोगों और कसदियों के देश के सब निवासियों को अधर्म का दण्ड दूंगा; यहोवा की यह वाणी है; और उस देश को सदा के लिये उजाड़ दूंगा। मैं उस देश में अपने वे सब वचन पूरे करूंगा जो मैं ने उसके विषय में कहे हैं, और जितने वचन यिर्मयाह ने सारी जातियों के विरुद्ध भविष्यद्वाणी करके पुस्तक में लिखे हैं। क्योंकि बहुत सी जातियों के लोग और बड़े बड़े राजा भी उनसे अपनी सेवा कराएंगे; और मैं उनको उनकी करनी का फल भुगताऊंगा।”』
सचमुच, जिन्होंने यिर्मयाह नबी के शब्दों को सुना और उनका पालन किया वे सुरक्षा में आगे बढ़े, और उन्होंने कई बार शारीरिक सफलता प्राप्त की। आखिर में वे अपने देश वापस लौटे, और उन्होंने खुशी व आनन्द के साथ शहर का निर्माण और मंदिर की मरम्मत करने का प्रयास किया। परन्तु जिन लोगों ने हनन्याह जैसे झूठे नबियों के शब्दों पर विश्वास किया और कोई प्रयास नहीं किया, वे नष्ट हो गए। यशायाह नबी ने इस प्रकार लिखा है:
यश 9:16 『क्योंकि जो इन लोगों की अगुवाई करते हैं वे इनको भटका देते हैं, और जिनकी अगुवाई होती है वे नष्ट हो जाते हैं।』
जो झूठे नबियों से भरमाए गए वे बेबीलोन के विरुद्ध विद्रोह करते हुए नष्ट हो गए, परन्तु जिन लोगों ने यिर्मयाह नबी की भविष्यवाणी पर विश्वास किया, उन्होंने सहन किया और अपने देश वापस लौटने के महिमामय दिन का इन्तजार किया, और अन्त में वे इसे देख सके।