यीशु ने राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया और विभिन्न दृष्टान्तों के द्वारा सत्य सिखाया। उनमें से, जंगली बीज और गेहूं का दृष्टांत मसीह के सुसमाचार के कार्य के बारे में एक भविष्यवाणी है, जिसकी तुलना आत्मिक खेती से की गई है। इस दृष्टांत में, हम दुनिया के कई झूठे चर्चों में से सच्चे चर्च को पहचानने का तरीका भी खोज सकते हैं।
जंगली बीज और गेहूं का दृष्टांत
जंगली बीज और गेहूं का दृष्टांत जो यीशु ने हमें सिखाया वह इस प्रकार है।
“स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है जिसने अपने खेत में अच्छा बीज बोया। पर जब लोग सो रहे थे तो उसका शत्रु आकर गेहूं के बीच जंगली बीज बोकर चला गया। जब अंकुर निकले और बालें लगीं, तो जंगली दाने के पौधे भी दिखाई दिए। इस पर गृहस्थ के दासों ने आकर उससे कहा, ‘हे स्वामी, क्या तू ने अपने खेत में अच्छा बीज न बोया था? फिर जंगली दाने के पौधे उसमें कहां से आए?’ उसने उनसे कहा, ‘यह किसी शत्रु का काम है।’ दासों ने उससे कहा, ‘क्या तेरी इच्छा है, कि हम जाकर उनको बटोर लें?’ उसने कहा, ‘नहीं, ऐसा न हो कि जंगली दाने के पौधे बटोरते हुए तुम उनके साथ गेहूं भी उखाड़ लो। कटनी तक दोनों को एक साथ बढ़ने दो, और कटनी के समय मैं काटनेवालों से कहूंगा कि पहले जंगली दाने के पौधे बटोरकर जलाने के लिए उनके गट्ठे बांध लो, और गेहूं को मेरे खत्ते में इकट्ठा करो’।” मत 13:24-30
स्वामी ने पहले अच्छा बीज बोया। बाद में, शत्रु ने स्वामी की खेती को बाधित करने के लिए गेहूं के बीच जंगली बीज बोया। जंगली बीज दिखने में गेहूं के समान है इसलिए जंगली बीज और गेहूं में भेद करना मुश्किल है। जंगली बीज बहुत जल्दी बढ़ते हैं, इसलिए यदि हम जंगली बीज को बिना निकाले गेहूं के साथ उगने दें, तो खेत जल्द ही जंगली बीज से भर जाएगा।
जंगली बीज और गेहूं के दृष्टान्त का अर्थ और भविष्यवाणी की पूर्ति
यीशु ने जंगली बीज और गेहूं के दृष्टान्त की व्याख्या भी समझाई।
…अच्छे बीज का बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है। खेत संसार है, अच्छा बीज राज्य की सन्तान, और जंगली बीज दुष्ट की सन्तान हैं। जिस शत्रु ने उनको बोया वह शैतान है; कटनी जगत का अन्त है, और काटनेवाले स्वर्गदूत हैं। अत: जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्त में होगा… और कुकर्म करनेवालों को इकट्ठा करेंगे, और उन्हें आग के कुण्ड में डालेंगे, जहां रोना और दांत पीसना होगा। मत 13:36-42
जिसने संसार में अच्छा बीज बोया, वह मनुष्य का पुत्र, पहली बार आने वाले यीशु हैं, और कटनी जगत का अन्त है। इसलिए, जंगली बीज और गेहूं का दृष्टांत यीशु के समय से लेकर जगत के अंत तक नए नियम के समय के बारे में एक भविष्यवाणी है। दृष्टांत में, उन्होंने कहा कि जंगली बीज को इकट्ठा किया जाएगा और जलाए जाने के लिए गट्ठे में बांधा जाएगा, और इसके बारे में, उन्होंने इस प्रकार व्याख्या की: “वे कुकर्म करनेवालों को इकट्ठा करेंगे और उन्हें आग के कुण्ड में डालेंगे।” यहां जंगली बीज उन लोगों को संकेत करते हैं जो कुकर्म करते हैं।
शत्रु जिसने कुकर्म का बीज बोया, वह शैतान है। जिस खेत में स्वामी ने अच्छा बीज बोया था उस खेत में शत्रु ने जंगली बीज बोया। इसका मतलब है कि शैतान मसीह के सुसमाचार के कार्य में बाधा डालने के लिए संसार में कुकर्म फैलाएगा। इस दृष्टान्त की तरह, यीशु के स्वर्गारोहण के बाद, शैतान प्रकट हुआ जो परमेश्वर की व्यवस्था का उल्लंघन करता है और अपनी शक्ति फैलाने लगा। चर्चों ने नई वाचा के सत्य के बजाय जिसे यीशु ने सिखाया था और उदाहरण में दिखाया था, कुकर्म की वकालत की, और रविवार की आराधना जैसे अन्यजाति धर्मों से उत्पन्न हुए झूठे सिद्धांत चर्च में घुस बैठे। 325 ई. में, फसह का पर्व मिटा दिया गया, जो नई वाचा के सत्य का मूल है।
तब से, 1,600 से अधिक वर्ष बीत चुके हैं, और आज दुनिया में कई चर्च हैं जो विभिन्न सिद्धांतों पर जोर देते हैं, लेकिन वे सभी ऐसे सिद्धांतों का पालन कर रहे हैं जो बाइबल में नहीं हैं, जैसे कि रविवार की आराधना और क्रिसमस। ऐसा कोई चर्च नहीं है जो पूरी तरह से नई वाचा के सत्य का पालन करता है। यदि हम जंगली बीज को बिना निकाले गेहूं के साथ उगने दें, तो जैसे खेत जल्द ही जंगली बीज से भर जाता है, वैसे ही अब कुकर्म करने वाले चर्चों की संख्या बढ़ गई है। लेकिन, जो लोग कुकर्म करते हैं, वे कभी भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते जिस प्रकार किसान जंगली बीज से प्रसन्न नहीं होता, चाहे वे कितने भी समृद्ध क्यों न हों।
“जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूंगा, ‘मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ’।” मत 7:21-23
भले ही वे यीशु को ‘हे प्रभु, हे प्रभु’ कहते हैं और ईसाइयों की तरह दिखते हैं, लेकिन जो लोग कुकर्म करते हैं वे कभी भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते। यह जंगली बीज के समान है, जो गेहूं के समान दिखते है, लेकिन खलिहान में नहीं जाते परन्तु आग के कुण्ड में फेंक दिए जाते हैं।
जंगली बीज और गेहूं का भेद कैसे करें
उद्धार प्राप्त करने और स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए, हमें जंगली बीज नहीं, बल्कि गेहूं बनना चाहिए। इसके लिए, बाइबल हमें जंगली बीज बोए जाने से पहले के विश्वास की ओर लौटना सिखाती है।
और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नींव पर, जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु स्वयं ही है, बनाए गए हो। इफ 2:20
ऐसा कहा गया है कि हमें प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नींव पर विश्वास रखना चाहिए। इसका अर्थ है कि हमें प्रथम चर्च के विश्वास और सत्य का पालन करना चाहिए, जिसका अभ्यास यीशु और प्रेरितों, जो सीधे यीशु के द्वारा सिखाए गए थे, के द्वारा किया गया था। वे सत्य जो यीशु ने सिखाए और उदाहरण दिखाए थे, सब्त का दिन(लूक 4:16; प्रे 17:2), फसह का पर्व(मत 26:17-28), ओढ़नी का नियम(1कुर 11:1-6), पिन्तेकुस्त का दिन(प्रे 2:1-4), झोपड़ियों का पर्व(यूह 7:2, 37-39), और इस प्रकार के और सत्य है। प्रथम चर्च के प्रेरितों और संतों ने नई वाचा के इन नियमों को मनाया और उनका पालन किया। वह चर्च जो जंगली बीज के बोए जाने से पहले के इस शुद्ध सत्य का पालन करता है, वह दृष्टान्त में गेहूं है।
जंगली बीज और गेहूं के दृष्टान्त के द्वारा, यीशु ने भविष्यवाणी की कि संसार में कुकर्म प्रचलित होगा और नई वाचा का सत्य यीशु के स्वर्गारोहण के बाद गायब हो जाएगा। परिणामस्वरूप, उन्होंने कहा कि जब वह दूसरी बार आएंगे तो वह पृथ्वी पर विश्वास नहीं पाएंगे(लूक 18:8)। बाइबल ने भविष्यवाणी की कि मसीह ऐसे संसार में जहां सच्चा विश्वास नहीं पाया जा सकता, मानवजाति के उद्धार के लिए दूसरी बार प्रकट होंगे(इब्र 9:28)। वह केवल दूसरी बार आने वाले मसीह हैं जो नई वाचा के खोए हुए सत्य को पुनर्स्थापित करेंगे और उद्धार का मार्ग खोलेंगे। जब हम बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार दूसरी बार आए मसीह को सही ढंग से ग्रहण करते हैं और उनकी शिक्षाओं के अनुसार नई वाचा के नियमों का पालन करते हैं, तो हम वह गेहूं बन सकते हैं जो परमेश्वर को प्रसन्न करता है।