हम आज दुनिया भर में हर जगह, ‘उद्धारकर्ता यीशु मसीह’, शब्द सुन सकते हैं; लेकिन, 2,000 साल पहले की परिस्थितियां बहुत अलग थीं।उद्धारकर्ता यीशु मसीह, जो शरीर में इस पृथ्वी पर आए थे, पर “नासरियों का कुपन्थ” का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था और वह यहूदियों द्वारा उत्पीड़न और तिरस्कार के अधीन किए गए थे।केवल कुछ चेलों ने यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में माना और उनका पालन किया।
हम उस उद्धारकर्ता को कैसे पहचान सकते हैं जो मानवजाति को बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आते है? सच्चे मसीह को पहचानने के लिए जो स्पष्ट मानक और सबूत इस्तेमाल किए जा सकते हैं, वह बाइबल है। यीशु ने अपने बारे में बाइबल के द्वारा गवाही दी, और उनके चेलों ने भी बाइबल की भविष्यवाणियों के द्वारा गवाही दी कि यीशु मसीह हैं। बाइबल वह पुस्तक है जो हमारे उद्धारकर्ता, यीशु मसीह की गवाही देती है। यही परमेश्वर का हमें बाइबल देने का उद्देश्य है।
तुम पवित्रशास्त्र में ढूंढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; यूह 5:39
उद्धारकर्ता यीशु मसीह ने कहा, “बाइबल मेरी गवाही देती है।” बाइबल उद्धारकर्ता के बारे में गवाही देती है। इस प्रकार, उद्धारकर्ता और बाइबल अविभाज्य हैं। लोग उस उद्धारकर्ता का इनकार करते हैं जिनके बारे में बाइबल गवाही देती हैं क्योंकि वे वास्तव में बाइबल पर विश्वास नहीं करते।
उद्धारकर्ता यीशु मसीह बाइबल के द्वारा अपने बारे में गवाही देते हैं
जैसा कि यीशु ने यूहन्ना 5 में कहा, उन्होंने किसी अन्य माध्यम से नहीं, बल्कि बाइबल के माध्यम से अपने बारे में गवाही दी।
तब उसने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्रशास्त्र में से अपने विषय में लिखी बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया। लूक 24:27
यहां पर, यीशु अपने पुनरुत्थान के बाद इम्माऊस के मार्ग पर चेलों के सामने प्रगट हुए और अपने बारे में गवाही दी। उस समय तक, चेलों के पास दृढ़ विश्वास नहीं था कि यीशु मसीह हैं। यीशु ने अपने चेलों के विश्वास को बढ़ाने के लिए “मूसा और सब भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक” के लेखन से शुरुआत करते हुए अपने बारे में गवाही दी। मूसा, यशायाह और यिर्मयाह जैसे “भविष्यद्वक्ता” बाइबल के लेखकों को दर्शाते हैं। यीशु ने बाइबल के द्वारा अपने बारे में गवाही दी कि वह उद्धारकर्ता हैं।
प्रेरितों ने भी बाइबल के द्वारा यीशु के बारे में गवाही दी
यीशु पर विश्वास करने वाले प्रेरितों ने भी बाइबल का उपयोग करके गवाही दी कि यीशु उद्धारकर्ता थे।
पौलुस अपनी रीति के अनुसार उनके पास गया, और तीन सब्त के दिन पवित्रशास्त्रों से उनके साथ वाद–विवाद किया; और उनका अर्थ खोल खोलकर समझाता था कि मसीह को दु:ख उठाना, और मरे हुओं में से जी उठना, अवश्य था; और “यही यीशु जिसकी मैं तुम्हें कथा सुनाता हूं, मसीह है।” प्रे 17:2-3
प्रेरित पौलुस ने बाइबल के द्वारा गवाही दी कि यीशु मसीह हैं।
तब फिलिप्पुस ने अपना मुंह खोला, और इसी शास्त्र से आरम्भ करके उसे यीशु का सुसमाचार सुनाया। प्रे 8:35
इस दृश्य में, फिलिप्पुस खोजे को प्रचार कर रहा था, जो एक महान पद और शक्ति का व्यक्ति था। फिलिप्पुस ने “इसी शास्त्र से” प्रचार करना शुरु कीया और यीशु के बारे में गवाही दी। आयत 30 में, हम समझ सकते हैं कि “इसी शास्त्र” यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक यानी बाइबल है।
फिलिप्पुस उसकी ओर दौड़ा और उसे यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पढ़ते हुए सुना, और पूछा, “तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है?” प्रे 8:30
यीशु और प्रेरितों ने बाइबल का उपयोग करते हुए गवाही दी कि यीशु उद्धारकर्ता हैं। क्योंकि बाइबल के बिना कोई भी उद्धारकर्ता को नहीं पहचान सकता है और बाइबल जिस मसीह की गवाही देती है वह निश्चित रूप से यीशु ही है। नए नियम के प्रेरितों और नबियों को बाइबल पर पूर्ण विश्वास था, इसलिए वे यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में पहचान सके और उन्हें ग्रहण कर सके।
लोग उद्धारकर्ता का इनकार करते हैं क्योंकि वे बाइबल पर विश्वास नहीं करते
यीशु के पहले आगमन पर, धार्मिक नेताओं ने यीशु को क्यों नहीं पहचाना और क्रूस पर चढ़ाया जिनके बारे में बाइबल में भविष्यवाणी और गवाही थी? उस समय के धार्मिक नेताओं को बाइबल के बारे में ज्यादा ज्ञान होने के लिए गर्व था। हालांकि, भले ही उन्होंने दावा किया कि वे बाइबल को जानते हैं और उस पर विश्वास करते हैं, वास्तव में, वे उन परमेश्वर को जिनकी बाइबल गवाही देती है नहीं जानते थे और विश्वास नहीं करते थे।
“क्योंकि यदि तुम मूसा का विश्वास करते, तो मेरा भी विश्वास करते, इसलिये कि उसने मेरे विषय में लिखा है। परन्तु यदि तुम उसकी लिखी हुई बातों पर विश्वास नहीं करते, तो मेरी बातों पर कैसे विश्वास करोगे?” यूह 5:46-47
यीशु ने कहा कि लोगों का उन पर विश्वास न करने का कारण यह था कि उन्होंने उस पर विश्वास नहीं किया जो मूसा ने उनके विषय में लिखा था। मूसा की पांच पुस्तकें मूसा द्वारा लिखी गई उत्पत्ति, निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, गिनती, व्यवस्थाविवरण को संकेत करती हैं। उन्होंने विश्वास नहीं किया कि यीशु मसीह हैं क्योंकि उन्होंने बाइबल पर विश्वास नहीं किया। ऐसा लगता है कि उन्होंने बाइबल पर विश्वास किया, परन्तु असल में उन्होंने नहीं किया। उन्होंने सिर्फ शाब्दिक रूप से बाइबल पर विश्वास किया, और वास्तव में बाइबल के वचनों को पूरा होने पर विश्वास नहीं किया।
बाइबल में परमेश्वर के बारे में जो मसीह के रूप में आएंगे, बहुत सारी भविष्यवाणियां हैं।भले ही उन्होंने यीशु को एक-एक करके इन भविष्यवाणियों को पूरा करते देखा, फिर भी उन्होंने उनका इनकार किया।वे ऐसे लोग नहीं थे जो वास्तव में बाइबल पर विश्वास करते थे।चूंकि उन्होंने उस उद्धारकर्ता का इनकार किया जिसकी बाइबल पुष्टि करती है, तो यह प्रमाणित करता है कि वे बाइबल पर सही तरह से विश्वास नहीं करते हैं।
जो बात मैं ने तुम से कही थी, ‘दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता,’ उसको याद रखो। यदि उन्होंने मुझे सताया, तो तुम्हें भी सताएंगे; यदि उन्होंने मेरी बात मानी, तो तुम्हारी भी मानेंगे। परन्तु यह सब कुछ वे मेरे नाम के कारण तुम्हारे साथ करेंगे, क्योंकि वे मेरे भेजनेवाले को नहीं जानते। यूह 15:20-21
लोगों ने यीशु और उनके चेलों को क्यों सताया? यीशु ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वे “मेरे भेजनेवाले” अर्थात् परमेश्वर को नहीं जानते। केवल बाइबल के द्वारा हम परमेश्वर को सही तरीके से जान सकते हैं। उन दिनों के धार्मिक नेताओं ने गर्व किया कि वे परमेश्वर को जानते हैं। वास्तविकता में, वे परमेश्वर को जानते भी न थे, बल्कि इसके बजाय उन्होंने परमेश्वर को अपने विचारों और अवधारणाओं के अनुकूल बनाने की कोशिश की कि परमेश्वर को कैसा होना चाहिए। उन्होंने परमेश्वर को जिनकी बाइबल गवाही देती है, जानने के लिए कोई परिश्रम नहीं किया।
बाइबल सिखाती है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर किसी भी समय मनुष्य के रूप में प्रकट हो सकते हैं। हालांकि, उन्होंने केवल अपने मुंह से स्वीकार किया कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं, लेकिन उन्होंने परमेश्वर के शरीर में आने को इनकार किया।उन्होंने केवल स्वर्ग में महिमा के सिंहासन पर बैठे परमेश्वर को जाना, परन्तु उन्होंने पृथ्वी पर शरीर में आए परमेश्वर को नहीं जाना।परिणामस्वरूप, उन्होंने अपने उद्धारकर्ता, यीशु मसीह को सताया, जो बाइबल की भविष्यवाणियों के अनुसार एक मनुष्य के रूप में आए थे, और अंत में उन्हें क्रूस पर चढ़ाया।
इसी तरह, उस समय के धार्मिक नेता जो प्रथम आगमन के समय सत्ता में थे, वे उद्धारकर्ता यीशु मसीह को नहीं जानते थे, इसका कारण यह था कि वे बाइबल और परमेश्वर को नहीं जानते थे। इस युग में भी, केवल वे जो बाइबल को सही तरह से जानते हैं और वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, वे मसीह, अर्थात् परमेश्वर को जो शरीर में इस पृथ्वी पर आते हैं, पहचान और ग्रहण कर सकेंगे।