त्रिएक पिता परमेश्वर, पुत्र परमेश्वर और पवित्र आत्मा परमेश्वर की व्याख्या

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सारांश

इस पुस्तक में, मसीह आन सांग होंग ने सिखाया कि पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा अलग नहीं हैं, लेकिन एक, पिता परमेश्वर हैं। उन्होंने यह गवाही दी कि पिता परमेश्वर जिन्होंने आकाश और पृथ्वी को बनाया और लाल समुद्र को विभाजित किया, यीशु जिन्होंने मनुष्यों के पापों का प्रायश्चित करने के लिए क्रूस पर अपना लहू बहाया, और पवित्र आत्मा जो संतों को विभिन्न वरदान देते हैं, अलग नहीं हैं लेकिन एक ही हैं।

प्रस्तावना

आज संसार के सभी चर्च यीशु का नाम पुकारते हैं, परन्तु उनमें से बहुत से चर्च ठीक तरीके से नहीं जानते कि यीशु मूल रूप से कौन है। क्योंकि प्रत्येक चर्च अपने सिद्धांत के अनुसार बाइबल की व्याख्या करता है। कुछ चर्च त्रिएक को अस्वीकार करते हुए, यीशु को हमारी तरह एक सृष्ट जीव के रूप में मानते हैं; कुछ लोग कहते हैं कि यीशु एक स्वर्गदूत है; कुछ लोग हठ करते हैं कि भले ही परमेश्वर और यीशु का उद्देश्य और इच्छा एक ही है, परन्तु वे दोनों एक नहीं हैं; कुछ लोग यह भी कहते हैं कि यीशु परमेश्वर की इच्छा पूरी करने में असफल रहा, क्योंकि वह 1,900 साल पहले क्रूस पर चढ़ाया गया; कुछ लोग ऐसा कहते हुए यीशु को शाप देने की भी हिम्मत करते हैं कि वह पापी है।

तब एक ही बाइबल से व्याख्या करने में चर्चों के बीच क्यों इतना बड़ा अन्तर होता है? यह इसलिए है कि वे सब पवित्र आत्मा की प्रेरणा से लिखे गए पवित्रशास्त्रों को अपनी उस शारीरिक आंखों से देखते हैं जो पाप से धुंधली हुई हैं। यीशु ने कहा, “तुम पवित्रशास्त्र में ढूंढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है”(यूहन्ना 5:39)।

पवित्रशास्त्र जिसके विषय में यीशु ने ऊपर कहा, वे नए नियम की नहीं, परन्तु पुराने नियम की पुस्तकें हैं। केवल वह जो पुराने नियम के सभी नबियों की पुस्तकों को पढ़ता है, स्पष्ट रूप से उस भविष्यवाणी को समझेगा कि यहोवा परमेश्वर स्वयं शरीर में आएगा और मसीहा के रूप में अपने लोगों को उनके पापों से बचाएगा; और वह जानेगा कि वह(यीशु) कौन है। यीशु को पहचानने के लिए, लगातार एक दूसरे के साथ वाद-विवाद करते हुए अपना समय व्यर्थ करने के बजाय, हमें पुराने नियम की भविष्यवाणी की पुस्तकों को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए।

आने वाले मसीह के बारे में पुराने नियम की भविष्यवाणियों का अध्ययन किए बिना, हम नहीं समझ सकेंगे कि यीशु कौन है। तब, यीशु इस पृथ्वी पर आने से पहले कहां था? और वह कौन था? पहले आइए हम पुराने नियम के नबियों की पुस्तकों का अध्ययन करें।

विषय सूची

  • अध्याय 1 यीशु के बारे में
  • अध्याय 2 परमेश्वर का स्वरूप
  • अध्याय 3 मसीहा के रूप में यहोवा के आने की भविष्यवाणी
  • अध्याय 4 यीशु का अर्थ है, उद्धारकर्ता 뜻
  • अध्याय 5 पुराने नियम का यहोवा नए नियम का यीशु है
  • अध्याय 6 यीशु, परमेश्वर का पुत्र
  • अध्याय 7 ठेस लगने का पत्थर तथा ठोकर खाने की चट्टान
  • अध्याय 8 पवित्र आत्मा के बारे में
  • अध्याय 9 स्वर्गदूत और पवित्र आत्मा

अध्याय 1 यीशु के बारे में

बाइबल में यीशु के बारे में विभिन्न तरीकों से भविष्यवाणी की गई है; कभी परमेश्वर, कभी परमेश्वर का पुत्र, कभी परमेश्वर का सेवक और कभी नबी कहकर बाइबल उसका वर्णन करती है। इसलिए यदि हम साधारण तरीके से इसका अध्ययन करें तो सही व्याख्या करना कठिन होगा। अब आइए हम पुराने नियम की भविष्यवाणियों और नए नियम में उनकी पूर्ति को पढ़ें।

व्य 18:18 『इसलिये मैं उनके लिये उनके भाइयों के बीच में से तेरे समान एक नबी को उत्पन्न करूंगा; और अपना वचन उसके मुंह में डालूंगा; और जिस जिस बात की मैं उसे आज्ञा दूंगा वही वह उनको कह सुनाएगा।』 प्रेरित पतरस ने प्रमाणित किया है कि यह भविष्यवाणी यीशु के द्वारा पूरी हुई।

प्रे 3:22-24 『जैसा कि मूसा ने कहा, ‘प्रभु परमेश्वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिये मुझ सा एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा, जो कुछ वह तुम से कहे, उसकी सुनना। परन्तु प्रत्येक मनुष्य जो उस भविष्यद्वक्ता की न सुने, लोगों में से नष्ट किया जाएगा।’ और शमूएल से लेकर उसके बाद वालों तक जितने भविष्यद्वक्ता बोले उन सब ने इन दिनों का सन्देश दिया है।』

ऊपर की भविष्यवाणी में यीशु का वर्णन एक नबी के रूप में किया गया, और यशायाह नबी ने लिखा है:

यश 42:1-4 『मेरे दास को देखो जिसे मैं सम्भाले हूं, मेरे चुने हुए को, जिस से मेरा जी प्रसन्न है, मैं ने उस पर अपना आत्मा रखा है, वह जाति जाति के लिये न्याय प्रगट करेगा। न वह चिल्लाएगा और न ऊंचे शब्द से बोलेगा, न सड़क में अपनी वाणी सुनाएगा। कुचले हुए नरकट को वह न तोड़ेगा और न टिमटिमाती बत्ती को बुझाएगा; वह सच्चाई से न्याय चुकाएगा। वह न थकेगा और न हियाव छोड़ेगा जब तक वह न्याय को पृथ्वी पर स्थिर न करे; और द्वीपों के लोग उसकी व्यवस्था की बाट जोहेंगे।』 यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई, इसके बारे में मत्ती में लिखा है:

मत 12:16-21 『और उन्हें चिताया कि मुझे प्रगट न करना, ताकि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो : “देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैंने चुना है; मेरा प्रिय, जिससे मेरा मन प्रसन्न है : मैं अपना आत्मा उस पर डालूंगा, और वह अन्य-जातियों को न्याय का समाचार देगा। वह न झगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा, और न बाजारों में कोई उसका शब्द सुनेगा। वह कुचले हुए सरकण्डे को न तोड़ेगा, और धूआं देती हुई बत्ती को न बुझाएगा, जब तक वह न्याय को प्रबल न कराए। और अन्यजातियां उसके नाम पर आशा रखेंगी।”』

इस वचन में यीशु को ‘परमेश्वर का चुना हुआ सेवक’ और ‘वह जिससे परमेश्वर अति प्रसन्न होता है’ कहा गया है। यशायाह नबी ने भी भविष्यवाणी की:

यश 61:1-2 『प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं; कि बन्दियों के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूं; कि यहोवा के प्रसन्न रहने के वर्ष का और हमारे परमेश्वर के पलटा लेने के दिन का प्रचार करूं; कि सब विलाप करनेवालों को शांति दूं।』 यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई, इसके बारे में लूका में लिखा है:

लूक 4:16-21 『फिर वह नासरत में आया, जहां पाला पोसा गया था; और अपनी रीति के अनुसार सब्त के दिन आराधनालय में जाकर पढ़ने के लिये खड़ा हुआ। यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक उसे दी गई, और उसने पुस्तक खोलकर, वह जगह निकाली जहां यह लिखा था : “प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है कि बन्दियों को छुटकारे का और अंधों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं, और प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूं।” तब उसने पुस्तक बन्द करके सेवक के हाथ में दे दी और बैठ गया; और आराधनालय के सब लोगों की आंखें उस पर लगी थीं। तब वह उनसे कहने लगा, “आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है।”』

ऊपर की भविष्यवाणी में यीशु को एक नबी बताया गया है।

लेकिन एक नबी यशायाह द्वारा लिखी गई निम्नलिखित भविष्यवाणी में, यहोवा स्वयं यीशु के रूप में आने के लिए भविष्यवाणी की गई है।

यश 40:3, 9-11 『किसी की पुकार सुनाई देती है, “जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो”… हे सिय्योन को शुभ समाचार सुनानेवाली, ऊंचे पहाड़ पर चढ़ जा; हे यरूशलेम को शुभ समाचार सुनानेवाली, बहुत ऊंचे शब्द से सुना, ऊंचे शब्द से सुना, मत डर; यहूदा के नगरों से कह, “अपने परमेश्वर को देखो!” देखो, प्रभु यहोवा सामर्थ्य दिखाता हुआ आ रहा है, वह अपने भुजबल से प्रभुता करेगा; देखो, जो मजदूरी देने की है वह उसके पास है और जो बदला देने का है वह उसके हाथ में है। वह चरवाहे के समान अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अंकवार में लिए रहेगा और दूध पिलानेवालियों को धीरे-धीरे ले चलेगा।』 यह भविष्यवाणी यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले और यीशु के द्वारा पूरी हुई। जैसा कि लिखा है:

मत 3:1-3 『उन दिनों में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला आकर यहूदिया के जंगल में यह प्रचार करने लगा : “मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।” यह वही है जिसकी चर्चा यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा की गई : “जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हो रहा है, कि प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसकी सड़कें सीधी करो।”』 यह कथन यशायाह 40:3-11 भविष्यवाणी को पूरी करता है।

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला वही है जो यहोवा के लिए मार्ग तैयार करने आया, और यीशु वह यहोवा है जो शरीर धारण करके आया।

यशायाह नबी ने ऐसी भविष्यवाणी भी की कि यहोवा एक बालक के रूप में पैदा होगा।

यश 7:14 『इस कारण प्रभु आप ही तुम को एक चिह्न देगा। सुनो, एक कुमारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।』 इस भविष्यवाणी की पूर्ति मत्ती 1:18-23 में पाई जाती है।

मत 1:18-23 『यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उसकी माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उनके इकट्ठा होने से पहले ही वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। अत: उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने का विचार किया। जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा, “हे यूसुफ! दाऊद की संतान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।” यह सब इसलिए हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था, वह पूरा हो : “देखो, एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा,” जिसका अर्थ है – परमेश्वर हमारे साथ।』

इम्मानुएल का अर्थ है, ‘परमेश्वर हमारे साथ’, और यीशु का अर्थ है, ‘वह जो अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।’ इम्मानुएल या यीशु परमेश्वर को दर्शाता है। और इसकी भविष्यवाणी भी की गई है:

यश 9:6-7 『क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा, इसलिये वह उसको दाऊद की राजगद्दी पर इस समय से लेकर सर्वदा के लिये न्याय और धर्म के द्वारा स्थिर किए और सम्भाले रहेगा। सेनाओं के यहोवा की धुन के द्वारा यह हो जाएगा।』

ऊपर की भविष्यवाणी भी यहोवा परमेश्वर के बारे में है जो एक बालक के रूप में जन्म लेगा। इस आयत के अलावा, संसार में परमेश्वर के आने के बारे में विभिन्न भविष्यवाणियां हैं। इसलिए जब तक हम उन्हें ध्यानपूर्वक नहीं पढ़ते, तब तक सही व्याख्या करना मुश्किल है। मसीह को पहचानना मनुष्य पर आधारित नहीं है, पर यह परमेश्वर की ओर से एक विशेष उपहार है। जैसा कि लिखा है:

यूह 1:10-13 『वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।』

मत 16:16-17 『शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।” यीशु ने उसको उत्तर दिया, “हे शमौन, योना के पुत्र, तू धन्य है; क्योंकि मांस और लहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है।”』

अध्याय 2 परमेश्वर का स्वरूप

परमेश्वर सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान है और उसका सिंहासन जिस पर वह विराजमान है पूरे ब्रह्मांड में परिपूर्ण है। वह तो स्वर्ग में वरन् सबसे ऊंचे स्वर्ग में भी नहीं समाता। जैसा कि लिखा है:

1रा 8:27 『“क्या परमेश्वर सचमुच पृथ्वी पर वास करेगा, स्वर्ग में वरन् सब से ऊंचे स्वर्ग में भी तू नहीं समाता, फिर मेरे बनाए हुए इस भवन में कैसे समाएगा।”』

यिर्म 23:24 『फिर यहोवा की यह वाणी है : क्या कोई ऐसे गुप्त स्थानों में छिप सकता है, कि मैं उसे न देख सकूं? क्या स्वर्ग और पृथ्वी दोनों मुझ से परिपूर्ण नहीं हैं?』

इसलिए परमेश्वर की आंखों से कोई भी स्थान छिप नहीं सकता वरन् गुप्त स्थानों में छिपी चीज भी परमेश्वर के सामने पूरी तरह से प्रकट होती है, और सम्पूर्ण ब्रह्मांड उसके हाथों के अन्दर चलता है। इस तरह परमेश्वर सर्वशक्तिमान है जो छोटी सी छोटी चीजों को भी देखता है।

और हमें यह जानना चाहिए कि परमेश्वर का अस्तित्व सिर्फ आत्मा में नहीं लेकिन शरीर के रूप में भी है; कभी-कभी वह राह-चलते व्यक्ति के रूप में प्रकट होता है। जैसा कि लिखा है:

उत 18:1-4, 10 『अब्राहम मम्रे के बांज वृक्षों के बीच कड़ी धूप के समय तम्बू के द्वार पर बैठा हुआ था, तब यहोवा ने उसे दर्शन दिया : उसने आंख उठाकर दृष्टि की तो क्या देखा कि तीन पुरुष उसके सामने खड़े हैं। जब उसने उन्हें देखा तब वह उनसे भेंट करने के लिये तम्बू के द्वार से दौड़ा, और भूमि पर गिरकर दण्डवत् की और कहने लगा, “हे प्रभु, यदि मुझ पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि है तो मैं विनती करता हूं कि अपने दास के पास से चले न जाना। मैं थोड़ा सा जल लाता हूं, और आप अपने पांव धोकर इस वृक्ष के नीचे विश्राम करें।”』 तब अब्राहम ने कुछ फुलके बनाए और एक कोमल और अच्छा बछड़ा लिया, और वह कुछ दही और दूध और बछड़े का मांस, जो उसने पकवाया था, ले आया, और उसने उन्हें परमेश्वर के आगे परोस दिया। तब परमेश्वर ने उन्हें खाया और कहकर प्रतिज्ञा की, 『“मैं वसन्त ऋतु में निश्चय तेरे पास फिर आऊंगा, और तेरी पत्नी सारा के एक पुत्र उत्पन्न होगा।”』

दूसरे शब्द में इसका अर्थ है कि परमेश्वर इसहाक के रूप में पैदा होगा। जैसा कि लिखा है:

यूह 8:56 『“तुम्हारा पिता अब्राहम मेरा दिन देखने की आशा से बहुत मगन था; और उसने देखा और आनन्द किया।”』 और प्रेरित पौलुस ने लिखा है:

गल 3:16 『अत: प्रतिज्ञाएं अब्राहम को और उसके वंश को दी गईं। वह यह नहीं कहता, “वंशों को,” जैसे बहुतों के विषय में कहा; पर जैसे एक के विषय में कि “तेरे वंश को” और वह मसीह है।』

“परमेश्वर आत्मा है।” (यूह 4:24) परमेश्वर का आत्मा मरियम के शरीर के द्वारा यीशु के रूप में पैदा हुआ।

मत 1:18 『यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उसकी माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उनके इकट्ठा होने से पहले ही वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई।』

और यह लिखा है, “… तू उसका नाम यीशु रखना।” इस नाम का अर्थ है, “वह जो अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।” यशायाह नबी ने भी भविष्यवाणी की:

यश 7:14 『इस कारण प्रभु आप ही तुम को एक चिह्न देगा। सुनो, एक कुमारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।』 मत्ती ने इस नाम का अर्थ लिखा है;

मत 1:23 『… जिसका अर्थ है – परमेश्वर हमारे साथ।』

इसलिए प्रेरित यूहन्ना और पौलुस ने यीशु को सृष्टिकर्त्ता कहा।

यूह 1:1-3 『आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। यही आदि में परमेश्वर के साथ था। सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ, और जो कुछ उत्पन्न हुआ है उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न नहीं हुई।』

यूह 1:14 『और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।』 और प्रेरित पौलुस ने लिखा है;

फिलि 2:6-8 『जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन् अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।』

रो 9:5 『पुरखे भी उन्हीं के हैं, और मसीह भी शरीर के भाव से उन्हीं में से हुआ। सब के ऊपर परम परमेश्वर युगानुयुग धन्य हो। आमीन।』 और फिर लिखा है:

कुल 1:16 『क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हों अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएं, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।』

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के लिए कुछ भी कठिन नहीं है। वह एक मनुष्य के रूप में उत्पन्न हो सकता है अथवा एक राह-चलते राही के रूप में अथवा एक भिखारी के रूप में भी प्रकट हो सकता है। इसलिए यद्यपि परमेश्वर एक मनुष्य के रूप में पैदा हो, तो भी यह आश्चर्य की बात बिल्कुल नहीं है।

अध्याय 3 मसीह के रूप में यहोवा के आने की भविष्यवाणी

पुराने नियम में, मसीह के आगमन के बारे में यह भविष्यवाणी की गई कि यहोवा स्वयं इस पृथ्वी पर आएगा। मलाकी नबी ने लिखा है:

मला 3:1 『“देखो, मैं अपने दूत को भेजता हूं, और वह मार्ग को मेरे आगे सुधारेगा…”』 इसका अर्थ है कि यहोवा स्वयं इस पृथ्वी पर आने के लिए अपने दूत बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना को पहले भेजेगा ताकि वह यहोवा का मार्ग तैयार करे।

यशायाह नबी ने भी ऐसी ही भविष्यवाणी की:

यश 40:3, 10-11 『किसी की पुकार सुनाई देती है, “जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो।”… देखो, प्रभु यहोवा सामर्थ्य दिखाता हुआ आ रहा है, वह अपने भुजबल से प्रभुता करेगा; देखो, जो मजदूरी देने की है वह उसके पास है और जो बदला देने का है वह उसके हाथ में है। वह चरवाहे के समान अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अंकवार में लिए रहेगा और दूध पिलानेवालियों को धीरे-धीरे ले चलेगा।』

सभी लोग अच्छे से जानते हैं कि यह भविष्यवाणी यीशु के प्रथम आगमन के बारे में है(मत 3:1-3; लूक 7:24-27 संदर्भ)। और यशायाह नबी ने लिखा है:

यश 54:13 『तेरे सब लड़के यहोवा के सिखलाए हुए होंगे, और उनको बड़ी शान्ति मिलेगी।』 यीशु ने इस भविष्यवाणी के बारे में इस प्रकार कहा:

यूह 6:45-46 『भविष्यद्वक्ताओं के लेखों में यह लिखा है : ‘वे सब परमेश्वर की ओर से सिखाए हुए होंगे।’ जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है, वह मेरे पास आता है। यह नहीं कि किसी ने पिता को देखा है; परन्तु जो परमेश्वर की ओर से है, केवल उसी ने पिता को देखा है।』

यूह 14:7-9 『“यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते; और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है।” फिलिप्पुस ने उससे कहा, “हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है।” यीशु ने उससे कहा, “हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूं, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा?”』

इसलिए यशायाह 54:13 में भविष्यवाणी थी कि यहोवा स्वयं मसीह के रूप में इस पृथ्वी पर आएगा और अपने लोगों को शिक्षा देगा। उसने जिसने यीशु से शिक्षा पाई है, परमेश्वर से शिक्षा पाई है और परमेश्वर को देखा है। यीशु ने कहा, “जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है, वह मेरे पास आता है।” जिसका मतलब है कि जो कोई यीशु से सीखता है वह यीशु के पास आ सकता है।

यूह 6:46 『… जो परमेश्वर की ओर से है, केवल उसी ने पिता को देखा है।』

यूह 14:9 『… जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा?』

यूह 10:30 『“मैं और पिता एक हैं।”』

यदि आप ऊपर के शब्दों पर ध्यान दें, तो आपको और ज्यादा व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं होगी। मैंने पिछले अध्याय में भी उल्लेख किया, लेकिन फिर से यह बात दोहरता हूं:

यश 7:14 『इस कारण प्रभु आप ही तुम को एक चिह्न देगा। सुनो, एक कुमारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।』 सभी जानते हैं कि यह भविष्यवाणी यीशु के द्वारा पूरी हुई जो परमेश्वर के आत्मा की ओर से मरियम के शरीर के द्वारा एक बालक के रूप में पैदा हुआ।

मत्ती 1:18-23 में यह लिखा है, 『वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई… वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।』 और यह भी लिखा है, 『“उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा,” जिसका अर्थ है – परमेश्वर हमारे साथ।』

दूसरे शब्दों में “इम्मानुएल” या “यीशु” का अर्थ है कि पवित्र आत्मा शरीर के रूप में आकर अपने लोगों को उनके पापों से बचाएगा और उनके साथ रहेगा। इसलिए यशायाह नबी ने सम्मानजनक उपाधि का प्रयोग करते हुए बालक के बारे में लिखा कि:

यश 9:6 『क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।』

यीशु ने अपने आप को परमेश्वर का पुत्र कहा, लेकिन फरीसी जानते थे कि परमेश्वर के पुत्र, मसीह को परमेश्वर होना चाहिए, इसलिए उन्होंने यीशु की निन्दा इस प्रकार की:

यूह 10:33 『यहूदियों ने उसको उत्तर दिया, “भले काम के लिये हम तुझ पर पथराव नहीं करते परन्तु परमेश्वर की निन्दा करने के कारण; और इसलिये कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है।”』 यहूदियों ने यीशु के विरुद्ध ऐसा कहा, क्योंकि वे सही तरह से जानते थे कि मसीह जिसकी भविष्यवाणी पुराने नियम में की गई है, वह इस संसार में आने वाला परमेश्वर है।

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